लखनऊ यूनिवर्सिटी हिंसा में हाईकोर्ट ने कुलपति-एसएसपी को किया तलब, IG को मिला जांच का जिम्मा
By भाषा | Published: July 5, 2018 10:37 PM2018-07-05T22:37:15+5:302018-07-05T22:37:15+5:30
कुलपति, रजिस्ट्रार और प्राक्टर के अलावा डीजीपी और एसएसपी को निर्देशित किया गया है कि वे कल यानी शुक्रवार को सुबह सवा दस बजे पीठ के समक्ष उपस्थित हों।
लखनऊ, 5 जुलाई: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लखनऊ विश्वविद्यालय (एल यू) में हुई हिंसा पर गुरुवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए कुलपति, रजिस्ट्रार और प्राक्टर के अलावा उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को तलब किया, जिसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने प्रकरण की जांच पुलिस महानिरीक्षक :लखनऊ रेंज: सुजीत पाण्डेय को सौंप दी।
डीजीपी ओपी सिंह ने त्वरित कार्रवाई करते हुए क्षेत्राधिकारी अनुराग सिंह का तबादला कर दिया तथा एलयू चौकी प्रभारी पंकज मिश्र को निलंबित कर दिया। कुलपति एस पी सिंह के नेतृत्व में एलयू शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने आज दोपहर डीजीपी सिंह से मुलाकात की। प्रकरण को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए डीजीपी ने कुलपति को आश्वासन दिया कि हिंसा में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी । उन्होंने शिक्षकों से कार्य पर वापस लौटने की अपील की। सिंह ने कहा, 'मैंने एलयू हिंसा प्रकरण की जांच आईजी :लखनऊ रेंज: को सौंप दी है । मैंने संबंधित क्षेत्राधिकारी का तबादला कर दिया है और एलयू चौकी इंचार्ज को निलंबित कर दिया है।'
उन्होंने कहा, 'मैंने शिक्षकों को आश्वासन दिया है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। साथ ही शिक्षकों से कार्य पर लौटने की अपील की।' उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने डीजीपी और लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी पेश होने को कहा है।
उक्त निर्देश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ एवं न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की पीठ ने दिये। एलयू में कल कुछ छात्रों द्वारा बाहरी तत्वों के साथ मिलकर कुलपति पर हमला बोलने तथा विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षकों को पीटे जाने की घटना को लेकर मीडिया में आयी खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए उक्त निर्देश दिया गया।
कुलपति, रजिस्ट्रार और प्राक्टर के अलावा डीजीपी और एसएसपी को निर्देशित किया गया है कि वे कल यानी शुक्रवार को सुबह सवा दस बजे पीठ के समक्ष उपस्थित हों। अदालत ने डीजीपी और एसएसपी से पूछा है कि विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षा की स्थिति सुधारने के लिए क्या कदम उठाये गये हैं।
अदालत ने हिन्दी और अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्रों की प्रतियों को रिकार्ड पर लिया और रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि इस मामले को जनहित याचिका के रूप में पंजीकृत किया जाए। हिंसा के बाद कल बुधवार को विश्वविद्यालय को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया । शिक्षकों पर हमले में दर्जनभर से अधिक शिक्षक घायल हो गये थे।
कुलपति का कहना है कि हमलावर खुद को सपा कार्यकर्ता बता रहे थे। कुलपति ने कल संवाददाताओं को बताया था कि दर्जन भर से अधिक शिक्षक घायल हुए हैं । उन्होंने कहा था, 'मुझ पर भी हमला हो जाता लेकिन मेरे सहयोगियों ने मुझे बचा लिया । घटना को अंजाम देने वाले एलयू के छात्र नहीं थे बल्कि असामाजिक तत्व थे । वे खुद को सपा कार्यकर्ता बता रहे थे । हमलावरों की संख्या 25 से 30 के बीच थी।'
उन्होंने कहा था कि विश्वविद्यालय को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है । प्रवेश के लिए चल रही काउंसिलिंग को भी रोक दिया गया है । हम प्राथमिकी दर्ज कराने जा रहे हैं।
विश्वविद्यालय अब कब खुलेगा, इस सवाल पर कुलपति ने कहा कि अगले आदेश से यह बंद रहेगा। घायलों में प्राक्टर विनोद सिंह, चीफ प्रोवोस्ट संगीता रानी और कुछ अन्य शिक्षक हैं। विश्वविद्यालय के कुछ सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए। कुलपति ने बताया कि परिसर में दो तीन दिन से आंदोलन चल रहा था। यह आंदोलन प्रवेश से जुड़ी मांगों को लेकर था। आशंका है कि कुछ प्रदर्शनकारी भी शिक्षकों पर हुए हमले में शामिल थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काफिले को पिछले साल जून में काला झंडा दिखाने वाले 20 से अधिक छात्रों का आरोप है कि उन्हें विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर पाठयक्रमों में दाखिला नहीं दिया जा रहा है। इसके विरोध में वे सोमवार से धरने पर हैं। योगी के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल अधिकतर छात्र वामपंथी आल इंडिया स्टूडेंटस एसोसिएशन :आइसा: और सपा की छात्र इकाई के थे। इस मामले पर कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए तय प्रक्रियाएं हैं । नियम विरूद्ध प्रवेश नहीं दिया जा सकता।