'प्रयागराज' को हाई कोर्ट में इन दलीलों के साथ चुनौती, सभी याचिकाओं पर एक साथ होगी सुनवाई
By भाषा | Published: November 1, 2018 03:47 AM2018-11-01T03:47:03+5:302018-11-01T03:47:03+5:30
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले का नाम बदलकर प्रयागराज करने की राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई 13 नवंबर, 2018 तक के लिए टाल दी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले का नाम बदलकर प्रयागराज करने की राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई 13 नवंबर, 2018 तक के लिए टाल दी।
इस जनहित याचिका में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और शहरी विकास मंत्री सुरेश खन्ना को प्रतिवादी बनाया गया है। अन्य प्रतिवादियों में मुख्य सचिव, महाधिवक्ता, राजस्व बोर्ड के चेयरमैन आदि शामिल हैं।
महिला अधिवक्ता सुनीता शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ए.पी. शाही और न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकीलों और राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता को एक जिले का नाम बदलने के संबंध में कानूनी मुद्दों पर मामला तैयार करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि एक जिले का नाम बदलना कोई नई बात नहीं है और कलकत्ता, बंबई, बैंगलोर आदि के नाम बदले जाने को अलग अलग उच्च न्यायालयों में चुनौती दी गई थी।
जनहित याचिका में दलील दी गई कि सैकड़ों वर्षों से इलाहाबाद के तौर पर जाने जाने वाले जिले का नाम बदलकर प्रयागराज करना न तो जनता के हित में है और न ही सरकार के हित में। इसके अलावा, जिले का नाम बदलने से भारी सरकारी धन खर्च होगा।
याचिकाकर्ता के वकील ने जनहित याचिका में कुंभ 2019 की घोषणा पर भी आपत्ति जताते हुए कहा इसे गलत ढंग से कुंभ घोषित किया गया है क्योंकि कुंभ मेला पहले ही 2013 में हो चुका है और अगले साल अर्ध कुंभ का आयोजन होगा।
इन सभी आधार पर याचिकाकर्ता ने अदालत से 18 अक्तूबर, 2018 को जारी सरकारी अधिसूचना को असंवैधानिक करार देने का अनुरोध किया है। इसी अधिसूचना के तहत इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया गया है।