सेना के सभी अंग किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार, पाक के साथ युद्ध पर बोले जनरल रावत
By भाषा | Published: January 20, 2020 07:05 PM2020-01-20T19:05:41+5:302020-01-20T19:05:41+5:30
‘‘सेना के सभी अंगों को किसी भी उभरती हुई चुनौती के लिए तैयार रहने का काम सौंपा जाता है। कोई परिदृश्य उत्पन्न होने का पूर्वानुमान जताना बहुत मुश्किल है। यद्यपि हम हमें दिये जाने वाले किसी भी कार्य के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।’’
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि यह पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है कि पाकिस्तान के साथ किसी युद्ध की परिस्थिति उत्पन्न होगी या नहीं लेकिन सेना के सभी अंग किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।
शीर्ष जनरल ने यहां सुखोई..30 एमकेआई की स्क्वाड्रन की तैनाती की। जनरल रावत भारत और पाकिस्तान के बीच किसी युद्ध की आशंका को लेकर पूछे गए एक सवाल का उत्तर दे रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘सेना के सभी अंगों को किसी भी उभरती हुई चुनौती के लिए तैयार रहने का काम सौंपा जाता है। कोई परिदृश्य उत्पन्न होने का पूर्वानुमान जताना बहुत मुश्किल है। यद्यपि हम हमें दिये जाने वाले किसी भी कार्य के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।’’
SU30 MKI aircraft can dominate seas, provide support to Navy, land forces: CDS
— ANI Digital (@ani_digital) January 20, 2020
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जनरल रावत ने हिंद महासागर में चीन की चुनौती को नहीं दिया अधिक महत्व
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में चीन की बढ़ती मौजूदगी को अधिक महत्व नहीं दिया और कहा कि प्रत्येक देश अपनी सुरक्षा को रणनीतिक नजरिए से देखता है। जनरल रावत ने यहां एयर फोर्स स्टेशन में एक सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान को शामिल किए जाने के मौके पर एक सवाल के जवाब में यह बात कही। उनसे पूछा गया था कि हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी किस प्रकार भारत के लिए चुनौती है।
लड़ाकू जहाजों का बेड़ा शामिल होने से भारतीय क्षमताओं को बढ़त मिलने की उम्मीद है, खासतौर से हिंद महासागर क्षेत्र में, जहां चीन की मौजूदगी भी बढ़ रही है। अफ्रीका के ऊपरी हिस्से में जिबूती में चीन का एक सैन्य आधार मौजूद है, और वह अपनी मौजूदगी बढ़ाने की फिराक में है।
उन्होंने कहा, “प्रत्येक राष्ट्र अपनी सुरक्षा को अपने रणनीतिक नजरिए से देखता है।” उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “समुद्र आवाजाही की स्वतंत्रता के लिए हैं। और इसलिए आप देखेंगे कि यदि किसी देश का किसी खास क्षेत्र में हित है तो वह उस क्षेत्र में आकर क्षेत्र में प्रभुत्व कायम करने की कोशिश करता है ताकि उसे आवाजाही की आजादी हो।” किसी भी देश द्वारा समुद्री व्यापारिक मार्ग के संरक्षण जैसे पहलुओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “इसलिए, मैं नहीं सोचता हूं कि उसे उस नजरिए (चीन से मिलने वाली चुनौती) से देखना चाहिए।” उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में नौसेना का परिचालन केवल आवाजाही की आजादी के लिए है।