खैरलांजी आंदोलन से जुड़े आरोपी बरी, मारपीट, तोड़फोड़, पेट्रोल बम के इस्तेमाल का था आरोप
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 11, 2019 05:50 PM2019-05-11T17:50:29+5:302019-05-11T17:50:29+5:30
खैरलांजी हत्याकांड के खिलाफ आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग के लिए 6 नवंबर 2006 को इंदोरा चौक में आंदोलन किया था. जरीपटका पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया था.
सत्र न्यायालय ने पचास से अधिक खैरलांजी आंदोलनकारियों को बरी कर दिया. न्यायाधीश तृप्ति मिटकरी की अदालत ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया. सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष मामला साबित करने में विफल रहा. आंदोलनकारियों में संजय महादेव मेश्राम, पंकज वामन लोणारे, बालू जीवन घरडे, दिनेश गोपीचंद अंडरसहारे, अमोल वामन लोणारे, रत्नमाला इंदल मेश्राम, जीतेंद्र दुर्गाप्रसाद पाली, धर्मपाल रवि चौधरी, शीलकुमार सुरेश सहारे, पूरनसिंह मुकुटसिंह ठाकुर, बाल अटलसिंह जबरसिंह गुर्जर, अनुरोध नारायण डोंगरे, भोजवल छत्रपति ओंकार, चिंतामन शाहू, रामबहादुर जबरसिंह ठाकुर, रामसिंह गुर्जर, अमर महादेव मेश्राम, मोरेश्वर किसन जुनघरे, भीमराव पांडुरंग खोब्रागड़े, योगेंद्र कृष्णा नगराले, प्यारेलाल मोतीसिंह इलनकर, विक्की संतोष तायडे, सचिन रामप्रसाद बोंदिले, देवानंद दौलत शेंडे, दिवाकर प्रभाकर मेंढे, रुपेश मनोहर बोरकर, राजेश पुंडलिक झोड़ापे, आशीष शंकर मेश्राम, राहुल प्रकाश मंडपे, धनंजय नारायण कांबले, नितिन नेहरू उके, संदीप उर्फ लंगड्या लोखंडे, गणेश सुखदेव पुनवटकर, मनीष उर्फ बंटी जांभुलकर व अन्य का सामवेश है.
इन पर जनता की भावना भड़काते हुए पुलिस पर दबाव लाना, पुलिस चौकी कब्जे में लेना, टायर जलाकर रास्ता बंद करना, आने-जाने वालों से मारपीट, पत्थरबाजी व वाहनों की तोड़फोड़ करना, ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों पर हमला कर उन्हें जख्मी करना, पुलिस स्टेशन के दस्तावेज फाड़ना, पुलिस स्टेशन के दुपहिया वाहन जलाना, सरकारी वाहन जलाना, पेट्रोल बम फेंककर पुलिस को जान से मारने का प्रयास करना आदि आरोप थे.
उन्होंने खैरलांजी हत्याकांड के खिलाफ आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग के लिए 6 नवंबर 2006 को इंदोरा चौक में आंदोलन किया था. जरीपटका पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया था. साथ ही जांच के बाद उनके खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया था.