air pollution: दिल्ली में स्कूल बंद, सीएम अरविंद केजरीवाल बोले-सरकारी अधिकारी करेंगे वर्क फ्रॉम होम, 14 से 17 नवंबर तक निर्माण गतिविधियों पर रोक

By सतीश कुमार सिंह | Published: November 13, 2021 07:16 PM2021-11-13T19:16:57+5:302021-11-13T19:18:44+5:30

air pollution:वायु प्रदूषण से निपटने के लिए बैठक के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकारी अधिकारी एक हफ्ते तक घर से काम करेंगे, निजी कार्यालयों को भी इसका पालन करने की सलाह दी गई है।

air pollution Delhi govt's emergency steps tackle No physical school for a week WFH for govt offices | air pollution: दिल्ली में स्कूल बंद, सीएम अरविंद केजरीवाल बोले-सरकारी अधिकारी करेंगे वर्क फ्रॉम होम, 14 से 17 नवंबर तक निर्माण गतिविधियों पर रोक

एक सप्ताह के लिए स्कूल बंद रहेंगे।दिल्ली में 14 से 17 नवंबर तक निर्माण गतिविधियों पर रोक रहेगी। (file photo)

Highlightsउच्चतम न्यायालय में योजना पेश करेंगे। हम दिल्ली में लॉकडाउन के प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं।उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी को “आपात” स्थिति करार दिया।

नई दिल्लीः दिल्ली में खराब होती वायु गुणवत्ता पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि खराब होती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर दिल्ली में सोमवार से एक सप्ताह के लिए स्कूल बंद रहेंगे।दिल्ली में 14 से 17 नवंबर तक निर्माण गतिविधियों पर रोक रहेगी।

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए बैठक के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकारी अधिकारी एक हफ्ते तक घर से काम करेंगे, निजी कार्यालयों को भी इसका पालन करने की सलाह दी गई है। हम दिल्ली में लॉकडाउन के प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं, उच्चतम न्यायालय में योजना पेश करेंगे। 

यह आपात स्थिति है : उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर कहा

उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी को “आपात” स्थिति करार दिया और केंद्र एवं दिल्ली सरकार से कहा कि वे वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आपात कदम उठाएं। न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में वाहनों का परिचालन रोकने और लॉकडाउन लगाने जैसे कदमों को अपनाने का सुझाव दिया।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब है कि लोग अपने घरों के भीतर मास्क पहन रहे हैं। इस पीठ में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि वायु प्रदूषण के लिये सिर्फ पराली जलाए जाने को वजह बताना सही नहीं है, इसके लिए वाहनों से होने वाला उत्सर्जन, पटाखे और धूल जैसे अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं। पीठ ने कहा, “हर किसी को किसानों को जिम्मेदार ठहराने की धुन सवार है। 70 प्रतिशत। पहले दिल्ली के लोगों को नियंत्रित होने दीजिए।

पटाखों, वाहनों से होने वाले प्रदूषण आदि को रोकने लिए प्रभावी तंत्र कहां है?” शीर्ष अदालत ने कहा, “हम समझते हैं कि कुछ प्रतिशत पराली जलाने की वजह से है। बाकी पटाखों, वाहनों से होने वाले प्रदूषण, उद्योगों, धूल आदि का प्रदूषण है। आप हमें बताइए कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 500 से 200 पर कैसे लेकर आएंगे। दो दिन के लॉक-डाउन जैसे कुछ तात्कालिक कदम उठाइए।” शीर्ष अदालत ने केंद्र से सोमवार तक जवाब देने को कहा है।

न्यायालय ने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि राष्ट्रीय राजधानी में स्कूल खुल गए हैं और प्रशासन से कहा कि वाहनों को रोकने या लॉकडाउन लगाने जैसे कदम तत्काल उठाए जाएं। केंद्र सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पंजाब में पराली जलाई जा रही है और राज्य को इसे लेकर कुछ करना होगा। पीठ ने कहा, “आपका मतलब यह लगता है कि सिर्फ किसान जिम्मेदार हैं। दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने से जुड़े कदमों का क्या है?”

मेहता ने स्पष्ट किया कि उनका कहने का मतलब यह नहीं है कि सिर्फ किसान जिम्मेदार हैं। जब दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने पराली जलाने के मुद्दे का जिक्र किया, तो पीठ ने कहा, "याचिकाकर्ता हों, दिल्ली सरकार या कोई और - किसानों को दोष देना एक फैशन बन गया है। क्या आपने देखा है कि कैसे दिल्ली में पिछले सात दिनों से कैसे पटाखे फोड़े जा रहे हैं?

दिल्ली पुलिस क्या कर रही थी?" शीर्ष अदालत पर्यावरण कार्यकर्ता आदित्य दुबे और कानून के छात्र अमन बंका द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने छोटे और सीमांत किसानों को मुफ्त में पराली हटाने वाली मशीन उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की है। 

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