एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ ने मिग-21 टाइप-96 लड़ाकू विमान में अकेले उड़ान भरी
By भाषा | Published: May 17, 2019 08:55 PM2019-05-17T20:55:45+5:302019-05-17T20:55:45+5:30
सुलूर वायुसेना अड्डा कोयंबतूर से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित है। इसे वायुसेना प्रमुख ने अकेले ही उड़ाया। मिग -21 टाइप -96 आईएएफ के साथ सेवा में अभी भी सिंगल-इंजन फाइटर का सबसे पुराना संस्करण है। बता दें कि एयर चीफ लंबे समय तक मिग-21 को उड़ा चुके हैं।
एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ ने शुक्रवार को यहां पास के सुलूर वायुसेना स्टेशन पर मिग-21 टाइप-96 लड़ाकू विमान में अकेले एक उड़ान भरी। यहां जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि धनोआ स्टेशन के दौरे पर आये थे।
सुलूर वायुसेना अड्डा कोयंबतूर से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित है। इसे वायुसेना प्रमुख ने अकेले ही उड़ाया। मिग -21 टाइप -96 आईएएफ के साथ सेवा में अभी भी सिंगल-इंजन फाइटर का सबसे पुराना संस्करण है। बता दें कि एयर चीफ लंबे समय तक मिग-21 को उड़ा चुके हैं।
कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने इसी तरह से विमान से कई उड़ान भरकर दुश्मन के ठिकानों पर लगातार हमला बोला था। गौरतलब है कि मिग-21 सोवियत रूस का बनाया हुआ लड़ाकू विमान है। जिसे पश्चिम में फिशबेड नाम से भी जाना जाता है।
#WATCH: Air Chief Marshal Birender Singh Dhanoa flew three solo sorties of MiG-21 T-96 fighter aircraft in Sulur, Tamil Nadu. pic.twitter.com/sfAx3d3mjl
— ANI (@ANI) May 17, 2019
1961 में, भारतीय वायु सेना ने मिग -21 खरीदने का विकल्प चुना था। इस सौदे के साथ सोवियत संघ ने भारत को विमान के स्थानीय संयोजन के लिए प्रौद्योगिकी और अधिकारों के पूर्ण हस्तांतरण की पेशकश की थी। 1964 में, मिग -21 भारतीय वायुसेना को सेवा देने वाला पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट बन गया।
Air Chief Marshal Birender Singh Dhanoa flew three solo sorties of MiG-21 T-96 fighter aircraft in Sulur, Tamil Nadu. pic.twitter.com/pk38xlSuJw
— ANI (@ANI) May 17, 2019
पायलटों की प्रशिक्षण में कमी के कारण, मिग -21 ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में एक सीमित भूमिका निभाई।