AIIMS रायपुर के डॉक्टरों ने दी चेतावनी, स्वास्थ्य केंद्रों में मोबाइल फोन से कोरोना वायरस से बढ़ सकता है खतरा

By भाषा | Published: May 15, 2020 05:29 PM2020-05-15T17:29:40+5:302020-05-15T17:29:40+5:30

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर डॉक्टरों ने स्वास्थ्य संस्थानों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पाबंदी की अनुशंसा करते हुए चेतावनी दी है। मोबाइल फोन की सतह एक विशिष्ट “उच्च जोखिम” वाली सतह होती है जो सीधे चेहरे या मुंह के संपर्क में आती है, भले ही हाथ अच्छे से धुले हुए क्यों न हों।

AIIMS Raipur doctors warn coronavirus may increase danger from mobile phones hospitals | AIIMS रायपुर के डॉक्टरों ने दी चेतावनी, स्वास्थ्य केंद्रों में मोबाइल फोन से कोरोना वायरस से बढ़ सकता है खतरा

अध्ययन के मुताबिक, कुछ स्वास्थ्यकर्मी हर 15 मिनट से दो घंटे के बीच अपने फोन का इस्तेमाल करते हैं। (photo-social media)

Highlightsअखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर के चिकित्सकों के एक समूह ने स्वास्थ्य संस्थानों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी। ऐसे उपकरण वायरस के वाहक हो सकते हैं और स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमित कर सकते हैं।

नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर के चिकित्सकों के एक समूह ने कोविड-19 महामारी के बीच स्वास्थ्य संस्थानों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पाबंदी की अनुशंसा करते हुए चेतावनी दी है कि ऐसे उपकरण वायरस के वाहक हो सकते हैं और स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमित कर सकते हैं। बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक लेख में डॉक्टरों ने कहा कि मोबाइल फोन की सतह एक विशिष्ट “उच्च जोखिम” वाली सतह होती है जो सीधे चेहरे या मुंह के संपर्क में आती है, भले ही हाथ अच्छे से धुले हुए क्यों न हों।

उन्होंने यह भी कहा कि एक अध्ययन के मुताबिक, कुछ स्वास्थ्यकर्मी हर 15 मिनट से दो घंटे के बीच अपने फोन का इस्तेमाल करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और सीडीसी जैसे विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों की तरफ से कई महत्वपूर्ण दिशानिर्देश हैं जिनमें बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण के उपाय निहित हैं।

जर्नल में प्रकाशित इस लेख में यह बात रेखांकित करते हुए कहा गया है कि “इन दिशानिर्देशों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल का कोई जिक्र या उल्लेख नहीं है, डब्ल्यूएचओ के संक्रमण नियंत्रण एवं रोकथाम दिशानिर्देश में भी नहीं जिसमें हाथ धोने की अनुशंसा की गई है।” दस्तावेज में कहा गया कि स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में फोन का इस्तेमाल अन्य कर्मियों से संपर्क व संवाद के लिये, हालिया चिकित्सा दिशानिर्देशों, दवाओं के शोधों, दवाओं के दुष्प्रभावों और विपरीत परिस्थितियों, टेलीमेडिसिन अप्वाइंटमेंट और मरीजों के पूर्व इतिहास पर नजर रखने के लिये किया जाता है।

यह लेख समुदाय एवं परिवार चिकित्सा विभाग के डॉ. विनीत कुमार पाठक, डॉ. सुनील कुमार पाणिग्रही, डॉ. एम मोहन कुमार, डॉ. उत्सव राज और डॉ. करपागा प्रिया पी ने लिखा है। लेखकों के मुताबिक, “स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य में चेहरे, नाक और आंखों के सीधे संपर्क में आने की वजह से मोबाइल फोन शायद मास्क, कैप और चश्मों के बाद दूसरे स्थान पर हैं।

हालांकि अन्य तीन की तरह मोबाइल को धोया नहीं जा सकता इसलिये उनके संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है। मोबाइल फोन की वजह से हाथों के साफ होने के भी बहुत मायने नहीं रह जाते…इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि मोबाइल रोगजनक विषाणुओं के लिए संभावित वाहक हैं।” यह लेख 22 अप्रैल को प्रकाशित हुआ था। इसमें कहा गया कि अस्पतालों में मोबाइल फोन का स्वच्छता के साथ उचित इस्तेमाल समय की मांग हैं।

भारत में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि उच्च विशिष्टता वाले अस्पतालों में लगभग 100 फीसद स्वास्थ्य कर्मी अस्पताल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उनमें से 10 फीसद ही कभी अपने मोबाइल को साफ करते हैं। डॉ. पाठक ने कहा, “सबसे सुरक्षित तरीका यह मानकर चलना है कि आपका फोन आपके हाथ का ही विस्तार है, इसलिये याद रखिये कि आपके फोन में जो है वह आपके हाथ पर हस्तांतरित हो रहा है।

” इस महामारी के बीच दो सबसे बड़ी मोबाइल फोन कंपनियों ने उपभोक्ताओं की मदद के लिये दिशानिर्देश अपलोड किये हैं जिसमें कहा गया है कि 70 प्रतिशत आइसोप्रोपिल अल्कोहल या क्लोरोक्स विसंक्रामक वाइप्स का इस्तेमाल फोन को स्विच ऑफ कर उसकी बाहरी सतह को हल्के हाथ से साफ करने के लिये किया जा सकता है।

सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक मोबाइल फोन, काउंटर, टेबल के ऊपरी हिस्से, दरवाजों की कुंडियां, शौचालय के नल, की-बोर्ड, टेबलेट्स आदि के साथ सबसे ज्यादा स्पर्श की जाने वाली सतहों में से एक हैं। डॉक्टरों ने आईसीयू और ऑपरेशन थियेटर जैसी जगहों पर मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध के साथ ही बात करते वक्त इसके चेहरे पर सीधे स्पर्श से बचने के लिये हेडफोन के इस्तेमाल की सलाह दी है। उनका कहना है कि मोबाइल फोन, हेडफोन या हेडसेट्स को किसी के साथ साझा न करें।

जहां संभव हो वहां इंटरकॉम सुविधा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाए। एम्स, नई दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर्स असोसिएशन (आरडीए) के महासचिव डॉ. श्रीनिवास राजकुमार टी ने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों के बाहर भी लोगों को मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि वे इसे सभी जगहों पर लेकर जाते हैं।

Web Title: AIIMS Raipur doctors warn coronavirus may increase danger from mobile phones hospitals

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