एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया बोले- वयस्क ही नहीं, बच्चों के लिए भी आ सकता है फाइजर का टीका
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 4, 2021 05:15 PM2021-06-04T17:15:04+5:302021-06-04T20:35:04+5:30
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बुधवार को संकेत दिया कि केंद्र, भारत में टीकों के लिए मंजूरी में तेजी लाने के लिए फाइजर और मॉडर्न को इंडेमनिटी दे सकता है।
नई दिल्लीः एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने एक इंटरव्यू में कहा कि फाइजर और मॉडर्ना को इंडेमनिटी देने से न केवल बच्चों, बल्कि वयस्कों के लिए भी कोविड -19 टीकाकरण को प्रोत्साहन मिलेगा।
न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बुधवार को संकेत दिया कि केंद्र, भारत में टीकों के लिए मंजूरी में तेजी लाने के लिए फाइजर और मॉडर्न को इंडेमनिटी दे सकता है। सरकार के एक उच्च अधिकारी ने कहा है कि भारत में दो दिग्गजों को कानूनी सुरक्षा देने में "कोई समस्या नहीं है" और अमेरिका और अन्य देशों द्वारा दोनों टीकों को प्रशासित करने के दृष्टिकोण के हिसाब से होगा।
भारत सरकार द्वारा फाइजर के लिए ब्रिजिंग ट्रायल के लिए इंडेमनिटी देने पर, डॉ गुलेरिया ने कहा कि यह न केवल बच्चों के लिए बल्कि वयस्कों के लिए भी मददगार साबित होगा। शीर्ष पल्मोनोलॉजिस्ट ने कहा कि यह पहले भी किया गया है जब सरकार ने उन सभी टीकों को आपातकालीन मंजूरी दी थी जिन्हें यूएस, यूके या यूरोपीय संघ और डब्ल्यूएचओ की एजेंसियों द्वारा अप्रूव्ड किया गया था।
बच्चों और वयस्कों के लिए फाइजर वैक्सीन आयेगी
उसके आधार पर,टीकों के लिए आपातकालीन अप्रूवल इन एजेंसियों से अप्रूवल के साथ पहले ही वास्तविक रूप से दिया जा चुका है। इसके साथ इंडेमनिटी का मामला भी हल होता दिख रहा है। उन्होंने बताया कि लगता है हमारे पास जल्द ही बच्चों और वयस्कों के लिए फाइजर वैक्सीन आयेगी।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कि पहले मानदंडों में ढील क्यों नहीं दी गई, डॉ गुलेरिया ने बताया कि यहां दो चीजें हैं। पहला , उभरते आंकड़ों को देखने के लिए और कम्फर्टेबल होने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं था। हालाकि मैं उस समूह का हिस्सा नहीं हूं जो यह तय करता है, लेकिन भारतीयों को आराम से वैक्सीन देने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं था।
हम टीकों को मंजूरी दे सकते हैं
यूरोपीय आबादी के साथ इसके दुष्प्रभाव दिखाई दिए हैं इसलिए वास्तव में सावधान रहना होगा। पहला सिद्धांत यह है कि आप फायदे से ज्यादा नुकसान नहीं करना चाहते हैं। जैसा कि वैक्सीन रोलआउट हुई , यह स्पष्ट हो गया कि यूके और यूएस में बड़ी संख्या में टीकाकरण भारतीय मूल के थे और उनमें कोई दुष्प्रभाव नहीं थे और जिससे हमें लगा कि अब हमारे पास यह कहने के लिए विश्व स्तर पर पर्याप्त डेटा है कि हम टीकों को मंजूरी दे सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा भारत में टीकाकरण प्रक्रिया को तेज करने के लिए फाइजर और मॉडर्ना को इंडेमनिटी देने की खबरों के बीच, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने गुरुवार ने भी कानून से सुरक्षा के लिए कहा। उन्होंने कहा कि सभी वैक्सीन निर्माता, चाहे भारतीय हों या विदेशी, को समान सुरक्षा देनी चाहिए।
भारत में टीकाकरण प्रक्रिया में कैसे मदद करेगा
सरकार ने अब तक किसी भी निर्माता को किसी भी गंभीर दुष्प्रभाव के लिए कानूनी कार्रवाई के खिलाफ क्षतिपूर्ति या संरक्षण नहीं दिया है। जैसे-जैसे यह मुद्दा जोर पकड़ता है, इंडेमनिटी का मतलब क्या है और यह भारत में टीकाकरण प्रक्रिया में कैसे मदद करेगा। ये बाते सामने आ रही है।
इंडेमनिटी का अर्थ
इंडेमनिटी का अर्थ है वैक्सीन निर्माताओं को कानूनी कार्यवाही से सुरक्षा, जो सुनिश्चित करती है कि उन पर भारत में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। भारत में कोई अन्य वैक्सीन निर्माता इस क्लॉज का लाभ नहीं उठाता है। हालांकि, फाइजर और मॉडर्ना ने कहा है कि वे भारत को निर्यात तभी करेंगे जब लेनदेन केंद्र के पास होगा और कंपनी कानूनी मामलों से पूरी तरह से सुरक्षित होगी।
अमेरिका और ब्रिटेन सहित 40 से अधिक देशों द्वारा अप्रूव किया गया
फाइजर और मॉडर्ना ने जहां आवाज उठाई है, वहीं सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने गुरुवार को कहा कि सभी वैक्सीन निर्माताओं को समान सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। फाइजर और मॉडर्ना जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में सबसे अच्छे वैक्सीन शॉट्स में से हैं और 90 प्रतिशत से ज्यादा प्रभावी भी हैं। इन्हें अमेरिका और ब्रिटेन सहित 40 से अधिक देशों द्वारा अप्रूव किया गया है।
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल के मुताबिक इन कंपनियों ने मूल देश सहित सभी देशों से इन्डेमिनिटी का अनुरोध किया है। हम इस अनुरोध की जांच कर रहे हैं और लोगों के व्यापक हित और योग्यता के आधार पर ही निर्णय लेंगे। इस पर चर्चा हो रही है और अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।