AIIMS ने माना- क्लोन किए चेक से जालसाजों ने उड़ाए 12 करोड़ से ज्यादा रुपये, आर्थिक अपराध शाखा को दी जानकारी
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: November 30, 2019 02:56 PM2019-11-30T14:56:37+5:302019-11-30T14:56:37+5:30
जालसाजों ने ‘क्लोन किये गये चेक’ का कथित तौर पर इस्तेमाल करते हुए एसबीआई में मौजूद इसके दो बैंक खातों से पिछले एक महीने में 12 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि उड़ा ली। शुक्रवार को यह खबर सूत्रों के हवाले से आई थी।
राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) आरती विज ने एम्स बैंक धोखाधड़ी मामले को लेकर समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, ''एम्स ने कुछ मामलों का पता लगाया, जिनमें भारतीय स्टेट बैंक की शाखाओं द्वारा 12.44 करोड़ रुपये के कुछ क्लोन / फर्जी चेक को भांजा गया था।''
उन्होंने कहा, ''एम्स ने धोखाधड़ी के मामले में एसबीआई का ध्यान खींचा और इसकी जानकारी दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को भी दी। कुछ मामलों ऐसे समय रोका गया जब भुगतान से पहले चेकों को सत्यापित कराने के लिए एसबीआई अधिकारियों ने के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं से संपर्क किया था।''
बता दें कि जालसाजों ने ‘क्लोन किये गये चेक’ का कथित तौर पर इस्तेमाल करते हुए एसबीआई में मौजूद इसके दो बैंक खातों से पिछले एक महीने में 12 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि उड़ा ली। शुक्रवार को यह खबर सूत्रों के हवाले से आई थी।
सूत्रों ने पीटीआई भाषा को बताया था कि यह राशि एम्स के एसबीआई में मौजूद खातों से अन्य शहरों में स्थित बैंक की शाखाओं से निकाली गई। यहां तक कि इस धोखाधड़ी के प्रकाश में आने बाद भी दोषियों ने पिछले एक हफ्ते में एसबीआई के देहरादून और मुंबई स्थित अन्य शाखाओं से 29 करोड़ रुपये से अधिक राशित उड़ाने की कोशिशें की। इसके लिये उन्होंने कथित तौर पर ‘क्लोन किये हुए चेक’ का इस्तेमाल किया।
सूत्रों ने बताया था कि जालसाजों ने देहरादून में एसबीआई की एक शाखा से 20 करोड़ रुपये जबकि मुंबई स्थित बैंक की शाखा से नौ करोड़ रुपये उड़ाने की कोशिश की। हालांकि, ये कोशिशें नाकाम कर दी गई थीं।
एक अधिकारी के मुताबिक एम्स ने स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कहा है कि एसबीआई की शाखाओं में जालसाजों द्वारा पेश किये गये जाली चेक ‘अल्ट्रा वॉयलेट रे’ (पराबैंगनी किरण) जांच को पार कर गये और उसी क्रम संख्या के मूल चेक अब भी एम्स के पास पड़े हुए हैं। एक बैंक अधिकारी ने बताया कि 25,000 रुपये या इससे अधिक रकम के चेक की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से जांच की जाती है।
एम्स ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है, ‘‘प्रथम दृष्टया ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जो यह बताता हो कि एम्स अधिकारियों की प्रत्यक्ष भूमिका या मिलीभगत है क्योंकि हस्ताक्षर करने वाले अधिकृत लोगों के दस्तखत भी फर्जी नजर आते हैं।’’
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भुगतान करने या रोकने को सीधे तौर पर एसबीआई बैंक और इसकी शाखाओं में नियंत्रण तंत्र की नाकामी बताई जा सकती है। इसलिये यह नुकसान एम्स से जुड़ा नहीं है।’’
(पीटीआई-भाषा इनपुट के साथ)