कृषि कानून की वापसी, पीएम मोदी की घोषणा से अवाक, उमा भारती ने कहा-कार्यकर्त्ता किसानों को समझा नहीं सके...
By सतीश कुमार सिंह | Published: November 22, 2021 05:18 PM2021-11-22T17:18:36+5:302021-11-22T17:20:12+5:30
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में यह घोषणाएं की।
वाराणसीः मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती ने कहा कि बीजेपी के कार्यकर्त्ता किसानों को कृषि कानूनों पर समझा नहीं सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर आखिरकार अपनी सरकार के कदम वापस खींच लिए हैं।
उमा भारती ने कहा कि मैं पिछले 4 दिनों से वाराणसी में गंगा किनारे हूं। दिनांक 19 नवम्बर 2021 को हमारे प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी ने जब तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा की तो मैं अवाक रह गई इसलिए 3 दिन बाद प्रतिक्रिया दे रही हूँ।
1) मैं पिछले 4 दिनों से वाराणसी में गंगा किनारे हूँ । दिनांक 19 नवम्बर 2021 को हमारे प्रधानमंत्री माननीय श्री @narendramodi जी ने जब तीनों कृषि क़ानूनों की वापसी की घोषणा की तो मैं अवाक रह गई इसलिए 3 दिन बाद प्रतिक्रिया दे रही हूँ ।
— Uma Bharti (@umasribharti) November 22, 2021
उमा भारती ने कहा कि मेरे नेता माननीय नरेंद्र मोदी जी ने तो कानूनों को वापस लेते हुए भी अपनी महानता स्थापित की। हमारे देश का ऐसा अनोखा नेता युग युग जीये, सफल रहे यही मैं बाबा विश्वनाथ एवं माँ गंगा से प्रार्थना करती हूँ। कृषि क़ानूनों के सम्बन्ध में विपक्ष के निरन्तर दुष्प्रचार का सामना हम नही कर सके। इसी कारण से उस दिन प्रधानमंत्री जी के सम्बोधन से मैं बहुत व्यथित हो रही थी।
7) मेरे नेता माननीय @narendramodi जी ने तो क़ानूनों को वापस लेते हुए भी अपनी महानता स्थापित की । हमारे देश का ऐसा अनोखा नेता युग युग जीये , सफल रहे यही मैं बाबा विश्वनाथ एवं माँ गंगा से प्रार्थना करती हूँ । @PMOIndia@BJP4India@bjpkm4kisan
— Uma Bharti (@umasribharti) November 22, 2021
ज्ञात हो कि पिछले लगभग एक साल से कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 के खिलाफ विभिन्न राज्यों व राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसान संगठन आंदोलन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इन कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पूरी कर ली जाएगी।