राज्यसभा में हंगामे के बीच कृषि बिल हुआ पास, विपक्ष ने रूल बुक फाड़ी व माइक तोड़ा
By अनुराग आनंद | Published: September 20, 2020 02:09 PM2020-09-20T14:09:06+5:302020-09-20T14:20:39+5:30
कृषि संबंधी बिल पर विरोध करते हुए कांग्रेस ने कहा कि इस विधेयक पर साइन करना किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा होगा।
नई दिल्ली: राज्यसभा में भारी हो-हंगामे के बावजूद नरेंद्र मोदी सरकार ने कृषि बिल को पास करा लिया है। खबर है कि सदन में इस बिल पर बहस के दौरान विपक्ष ने विरोध किया। यही नहीं विपक्षी संसदों ने रूल बुक फाड़ते हुए अपना विरोध जताया और उपसभापति की माइक तक तोड़ दी गई।
बता दें कि राज्यसभा में कृषि संबंधित दो बिल ध्वनि मत से पास हुए हैं। उच्च सदन में दोनों बिल पर चर्चा के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब दिया। नरेंद्र सिंह तोमर के जवाब देने के दौरान विपक्ष के सांसदों ने जोरदार हंगामा किया। सांसदों ने हंगामा उसभापति के फैसले पर किया।
ऐसा इसलिए क्योंकि सभापति ने सदन को एक बजे समाप्त करने के बजाय विधेयक पारित होने तक सदन की कार्यवाही चालू रखने का फैसला किया। बिल पास होने के बाद कल सुबह तक के लिए सदन की कार्रवाई स्थगित कर दी गई है।
Rajya Sabha passes the Farmers' and Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill, 2020 and Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Bill, 2020, amid protest by Opposition MPs https://t.co/JqGYfi8k4x
— ANI (@ANI) September 20, 2020
कार्पोरेट जगत को फायदा पहुंचाने वाली है दोनों नए कृषि विधेयक
राज्यसभा में रविवार को कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समाप्त करने और कार्पोरेट जगत को फायदा पहुंचाने के लिए दोनों नए कृषि विधेयक लेकर आयी है।
हालांकि सरकार ने इसका खंडन करते हुए कहा कि किसानों को बाजार का विकल्प और उनकी फसलों को बेहतर कीमत दिलाने के उद्देश्य से ये विधेयक लाए गए हैं। राज्यसभा में कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक किसानों की आत्मा पर चोट हैं, यह गलत तरीके से तैयार किए गए हैं तथा गलत समय पर पेश किए गए हैं।
'बिल पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर साइन जैसा'
उन्होंने कहा इन बिलों पर सहमति किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा होगा और कांग्रेस ये नहीं करेगी। साथ ही बाजवा ने कहा कि अभी हर दिन कोरोना वायरस के हजारों मामले सामने आ रहे हैं और सीमा पर चीन के साथ तनाव है। बाजवा ने आरोप लगाया कि सरकार का इरादा एमएसपी को खत्म करने का और कार्पोरेट जगत को बढ़ावा देने का है।
बाजवा ने सवाल किया कि क्या सरकार ने नए कदम उठाने के पहले किसान संगठनों से बातचीत की थी ? उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक देश के संघीय ढांचे के साथ भी खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि जिन्हें आप फायदा देना चाहते हैं, वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में नए कानूनों की जरूरत क्या है। उन्होंने कहा कि देश के किसान अब अनपढ़ नहीं हैं और वह सरकार के कदम को समझते हैं।
'सरकार अगर सही तो अकाली नाराज क्यों?'
बाजवा कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 तथा कृषक (सक्तिशकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 पर सदन में एक साथ हुयी चर्चा की शुरूआत कर रहे थे। बाजवा ने सवाल किया कि अगर सरकार के कदम किसानों के पक्ष में हैं तो भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी अकाली दल क्यों इसका विरोध कर रही है ?
कांग्रेस नेता ने 2015 की शांता कुमार समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को हो रहे घाटे को दूर करने के लिए सरकार कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के नए कदम से पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का सबसे ज्यादा नुकसान होगा।