लॉकडाउन में ढील के बाद सरसों सहित अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में सुधार, मूंगफली व तिल के कीमत में भी गिरावट

By भाषा | Published: May 31, 2020 03:55 PM2020-05-31T15:55:01+5:302020-05-31T15:55:01+5:30

लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद बाजार की मांग बढ़ने से दिल्ली के थोक तेल-तिलहन बाजार में पिछले सप्ताहांत सरसों, सोयाबीन, सीपीओ और पामोलीन सहित अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में सुधार आया है।

after the lockdown oilseed mustard oil prices improvement palmolein groundnut price fall | लॉकडाउन में ढील के बाद सरसों सहित अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में सुधार, मूंगफली व तिल के कीमत में भी गिरावट

लॉकडाउन में ढील के बाद सरसों के कीमतों में सुधार (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsलॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद बाजार की मांग बढ़ने से दिल्ली के थोक तेल-तिलहन बाजार में पिछले कीमतों में सुधार आया।गुजरात में रबी की मूंगफली फसल के बाजार में आने से इन दोनों तेलों की कीमतों में हानि दर्ज हुई।

नई दिल्लीविदेशी बाजारों में सुधार के रुख के बीच लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद बाजार की मांग बढ़ने से दिल्ली के थोक तेल-तिलहन बाजार में पिछले सप्ताहांत सरसों, सोयाबीन, सीपीओ और पामोलीन सहित अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में सुधार आया। दूसरी ओर पश्चिम बंगाल से तिल की नई फसल की आवक तथा गुजरात में रबी की मूंगफली फसल के बाजार में आने से इन दोनों तेलों की कीमतों में हानि दर्ज हुई। बाजार सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्ताहांत के मुकाबले हालांकि सरसों में सुधार आया है लेकिन लूज कीमत के मुकाबले इसके वायदा भाव एक अप्रैल से लागू 4,425 रुपये क्विन्टल के भाव से कम चल रहे हैं।

सरकार द्वारा कई राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरसों की खरीद करने से किसान औने-पौने दाम पर अपनी फसल को नहीं बेच रहे हैं और मंडी में अपनी कम उपज ला रहे हैं जो सरसों कीमतों में सुधार का प्रमुख कारण है। सूत्रों ने कहा कि अगर सरकार ने वायदा कारोबार में किसानों के देशी तेल के भाव तोड़ने वाले सटोरियों पर अंकुश लगा दिया और किसानों की ज्यादा से ज्यादा फसल की एमएसपी पर खरीद जारी रखी तो किसान काफी उत्साहित होंगे और देश को तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में अधिक वक्त नहीं लगेगा।

उन्होंने कहा कि देश में सोयाबीन तेल की काफी मात्रा में आवक होने की उम्मीद है। ऐसे में देशी सोयाबीन किसानों के हित को ध्यान में रखकर सरकार को सोयाबीन, सूरजमुखी, रैपसीड जैसे तेलों पर आयात शुल्क यथासंभव बढ़ा देना चाहिये। इससे सरकारी खजाने में धन भी आयेगा और देशी तिलहन उत्पादकों के हितों की रक्षा भी होगी। समीक्षाधीन सप्ताहांत में, सरसों दाना (तिलहन फसल), सरसों दादरी, सरसों पक्की और कच्ची घानी तेलों की कीमतों में सुधार देखने को मिला।

सरसों दाना (तिलहन फसल), सरसों दादरी की कीमतें क्रमश: 25 रुपये और 720 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,500-4,550 रुपये और 9,870 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं, जबकि सरसों पक्की घानी और सरसों कच्ची घानी की कीमतें 45-45 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 1,535-1,680 रुपये और 1,605-1,725 रुपये प्रति टिन पर बंद हुईं। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान बाजार में गुजरात की रबी मूंगफली की आवक बढ़ने से मूंगफली दाना सहित उसके तेलों की कीमतों में गिरावट का रुख कायम हो गया।

मूंगफली दाना और मूंगफली गुजरात के भाव क्रमश: 45 रुपये और 500 रुपये घटकर क्रमश: 4,845-4,895 रुपये और 13,000 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव भी 10 रुपये की हानि के साथ 1,980-2,030 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ। मांग न होने के बावजूद वनस्पति घी का भाव 50 रुपये के सुधार के साथ 995-1,100 रुपये प्रति 15 किग्रा पर बंद हुआ जबकि पश्चिम बंगाल से नई फसल की आवक के कारण तिल मिल डिलिवरी का भाव 400 रुपये की हानि दर्शाते 10,000-13,100 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ।

शिकॉगो एक्सचेंज में सुधार और स्थानीय मांग के कारण सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम की कीमतें क्रमश: 150 रुपये, 100 रुपये और 120 रुपये का सुधार दर्शाती क्रमश: 8,650 रुपये, 8,550 रुपये और 7,470 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। सोयाबीन की बिजाई का समय नजदीक आ रहा है और सटोरियों ने वायदा कारोबार में इसका भाव नीचे चला रखे हैं। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) की कीमत भी 200 रुपये के सुधार के साथ 7,600 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुई।

वायदा भाव टूटने के कारण सोयाबीन में आम गिरावट रुख के अनुरूप सोयाबीन दाना और सोयाबीन लूज के भाव, पिछले सप्ताहांत के मुकाबले क्रमश: 35-35 रुपये का सुधार दर्शाते समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 3,860-3,910 रुपये और 3,660-3,710 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। लॉकडाउन में ढील के बाद रेस्तरां, खान-पान की छोटी दुकानों और होटलों की मांग बढ़ने से पाम तेल और पामोलीन तेलों में भी सुधार आया। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इस तेल का उत्पादन और बढ़ने जा रहा है।

ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा कि इनके भाव टूटने से देशी तेल उत्पादक किसानों को नुकसान न हो। कच्चा पाम तेल (सीपीओ), पामोलीन आरबीडी दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल की कीमतें क्रमश: 6,620 रुपये, 8,080 रुपये और 7,270 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं।

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