मोबाइल पर बैन के बाद छात्रा ने छोड़ दिया था हॉस्टल, केरल हाईकोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला
By भाषा | Published: September 21, 2019 08:07 AM2019-09-21T08:07:20+5:302019-09-21T08:07:20+5:30
केरल हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि इंटरनेट का इस्तेमाल करना संविधान में दिए गए शिक्षा और निजता के अधिकार का हिस्सा है। मोबाइल पर पाबंदी का कॉलेज हॉस्टल का नियम केरल की अदालत ने रद्द किया।
केरल हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि इंटरनेट का इस्तेमाल करना संविधान में प्रदत्त शिक्षा के अधिकार और निजता के अधिकार का हिस्सा है। इसके साथ ही अदालत ने उस छात्रा को कॉलेज के हॉस्टल में फिर से प्रवेश देने का निर्देश दिया जिसे मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोकटोक का विरोध करने पर निकाल दिया गया था। अदालत ने यह भी कहा कि ज्ञान प्राप्त करने के माध्यम और तरीकों पर रोक लगाकर अनुशासन नहीं थोपा जाना चाहिए।
गुरुवार को अपने फैसले में न्यायमूर्ति पीवी आशा ने कहा, ‘‘ संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद ने पाया है कि इंटरनेट का इस्तेमाल करना एक मौलिक आजादी है और यह शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करने का भी एक जरिया है। ऐसा कोई भी नियम या निर्देश जो छात्रों के इस अधिकार को हानि पहुंचाता है, उसे कानूनन इजाजत नहीं दी जा सकती।’’
कालीकट विश्वविद्यालय के एक सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेज की बीए के तीसरे सेमिस्टर की छात्रा ने हॉस्टल से निकाले जाने को चुनौती देते हुए एक रिट याचिका डाली थी। उस याचिका पर अदालत ने यह फैसला दिया है। याचिका में छात्रा ने कहा कि छात्रावास में रहने वालों को हॉस्टल के भीतर रात दस बजे से सुबह छह बजे तक मोबाइल इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है। स्नातक छात्राओं को हॉस्टल में लैपटॉप इस्तेमाल करने की भी अनुमति नहीं है।
इसमें यह भी कहा गया कि इस तरह की पाबंदियां केवल लड़कियों के छात्रावास में ही लगाई गई हैं। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पूरी तरह से पाबंदी और पढ़ाई के घंटों में इसे जमा करवाने का निर्देश पूरी तरह से गैरजरूरी है। अदालत ने यह भी कहा कि अनुशासन लागू करते वक्त मोबाइल फोन के सकारात्मक पहलू को देखना भी जरूरी है।