'अयोध्या' और 'आर्टिकल 370' के बाद ये है अमित शाह का नया टास्क, इस बार पहले से बड़ी चुनौती!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 11, 2019 09:38 AM2019-11-11T09:38:55+5:302019-11-11T12:59:08+5:30
सबसे पहले जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटाया गया और सफलतापूर्वक लागू किया गया। इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या राम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। अब गृहमंत्री अमित शाह के पास तीसरा बड़ा टास्क यूनिफॉर्म सिविल कोड का है।
बीजेपी के सत्ता में वापसी के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने पार्टी के दशकों पुराने एजेंडे पर पूरी ताकत से काम किया है। सबसे पहले जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटाया गया और सफलतापूर्वक लागू किया गया। इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या राम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। अब गृहमंत्री अमित शाह के पास तीसरा बड़ा टास्क यूनिफॉर्म सिविल कोड का है। ये तीनों मुद्दे मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में नेपथ्य में चले गए थे।
गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने की घोषणा करते हुए राज्यसभा में भाषण दिया था। उससे स्पष्ट संकेत मिल रहे थे कि वो इस सरकार का नेतृत्व सामने से करेंगे। उन्होंने खुद को आरएसएस और बीजेपी के मुखर नेता के रूप में स्थापित किया। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उनकी इस छवि को और पुख्ता करने का मौका दे दिया है।
अनुच्छेद 370 और अयोध्या में राम मंदिर के बाद अब सोशल मीडिया पर समान नागरिक संहिता की बात शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इसकी जरूरत बताई है। राम मंदिर पर फैसले पर टिप्पणी के बाद मीडिया ने जब उनसे समान नागरिक संहिता पर पूछा तो उन्होंने कहा, आ गया समय।
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट में समान नागरिक संहिता की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस सी. हरिशंकर इस मामले की 15 नवंबर को सुनवाई करेंगे।
भाजपा पर विपक्षी दलों की ओर से राम मंदिर मसले पर राजनीति करने का आरोप लगाया जाता था। विपक्षी नेता अकसर भाजपा पर तंज कसते हुए कहते थे, मंदिर वहीं बनाएंगे, पर तारीख नहीं बताएंगे। सुप्रीम कोर्ट की ओर से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का फैसला दिए जाने के बाद भाजपा ने अब हिंदुत्व के अपने इस सबसे बड़े मुद्दे पर बढ़त कायम कर ली है। वह अब अपने समर्थकों के बीच यह कह सकेगी कि उसका वादा पूरा हुआ है। यही नहीं इसके साथ ही भाजपा नेता और समर्थक अब समान नागरिक संहिता की बात भी करने लगे हैं।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
भारत में अलग-अलग धर्मों के लिए पर्सनल कानून हैं जिसके दायरे में शादी से लेकर संपत्ति के अधिकार तक आते हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है देश में हर नागरिक के लिए एक समान कानून का होना, फिर भले ही वो किसी भी धर्म या जाति से ताल्लुक क्यों न रखता हो। यह काफी पहले से बीजेपी के एजेंडे में शामिल है और सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। आर्टिकल 370 और तीन तलाक की तरह अपनी राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल गृहमंत्री शाह यूनिफॉर्म सिविल कोड लगाने में भी कर सकते हैं।
यूनिफॉर्म सिविल कोड, पर्सनल लॉ को लेकर लॉ कमीशन की रिपोर्ट पिछले साल पेश की गई थी तब कमीशन ने कहा था कि इस स्टेज पर यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरूरत नहीं है। मौजूदा पर्सनल कानूनों में सुधार की जरूरत है। धार्मिक परम्पराओं और मूल अधिकारों के बीच सामंजस्य बनाने की जरूरत है।