भड़के आडवाणी ने किया था सवाल : किसने लिया टिकट काटने का निर्णय-आक्रोश देखकर शाह ने किया था फोन
By हरीश गुप्ता | Published: April 17, 2019 06:21 AM2019-04-17T06:21:38+5:302019-04-17T09:46:41+5:30
भाजपा के संस्थापक लालकृष्ण आडवाणी लोकसभा सदस्य होने के बावजूद अपनी ही पार्टी में राजनीतिक गुमनामी में हैं. मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने चुप्पी साध ली है. यहां तक कि उन्होंने अपना ब्लॉग लिखना भी बंद कर दिया
भाजपा के संस्थापक लालकृष्ण आडवाणी लोकसभा सदस्य होने के बावजूद अपनी ही पार्टी में राजनीतिक गुमनामी में हैं. मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने चुप्पी साध ली है. यहां तक कि उन्होंने अपना ब्लॉग लिखना भी बंद कर दिया, जो उनका जुनून था क्योंकि इससे मीडिया में अनावश्यक विवाद पैदा हुआ.
ऐसे हालात में उनका धैर्य उस वक्त जवाब दे गया जबकि पार्टी के दूसरे कद्दावर नेता राम लाल ने उन्हें बताया कि पार्टी ने 75 साल से अधिक उम्र के किसी को भी टिकट नहीं देने का फैसला किया है. उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि आमतौर पर शांतचित रहने वाले आडवाणी शीर्ष पर भड़क गए और पूछा, ''यह निर्णय किसने लिया? यह निर्णय कब और कहां लिया गया? आडवाणी काल में पार्टी के प्रभारी महासचिव को नहीं पता था कि उन्हें क्या करना है क्योंकि उन्हें उनसे ऐसे सवालों की कभी उम्मीद नहीं थी.
राम लाल नीचे देखते रहे और याद करते रहे कि वह उनके साथ कैसे आए थे और पार्टी ने उन्हें यह निर्णय सुनाने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी थी. इसके बावजूद आडवाणी ने उन्हें आसानी से नहीं छोड़ा, बल्कि कम से कम यह बताने को कहा कि यह निर्णय कैसे लिया गया. राम लाल के पास कोई जवाब नहीं था इसीलिए उन्होंने चुप रहना बेहतर समझा. चाय और नाश्ते के बाद उन्होंने 30 पृथ्वीराज रोड स्थित निवास छोड़ा. बाद में उन्होंने पार्टी के दिग्गज मुरली मनोहर जोशी को फोन करके उन्हें कानपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार नहीं बनाए जाने की जानकारी दी.
उनके बाद जोशी ने पत्र के माध्यम से कानपुर के मतदाताओं को सूचित किया कि राम लाल ने उन्हें टिकट नहीं मिलने की सूचना दी है. खतरे को भांपकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आडवाणी और जोशी को व्यक्तिगत रूप से फोन करने का निर्णय लिया जो पार्टी के संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष थे।
असंतुष्टों के साथ कर सकते थे चाय पार्टी :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए नियम के तहत 75 साल से अधिक उम्र के पार्टी के 15 वरिष्ठ नेताओं को इस बार टिकट से वंचित किया गया है.
वहीं, पार्टी की इस कार्रवाई से आडवाणी और जोशी की भावनाएं आहत होने के मद्देनजर भाजपा अध्यक्ष शाह उन्हें शांत करने के लिए आगे बढ़े. ऐसे उन्होंने उस खुफिया रिपोर्ट के आधार पर किया, जिसमें संकेत दिया गया था कि ये दिग्गज नेता अन्य असंतुष्टों के साथ चाय पार्टी कर सकते हैं. टिकट से वंचित किए जाने के बाद जोशी ने आडवाणी से मुलाकात की. दोनों नेता टिकट काटने के तरीके से बेहद दुखी थे. ऐसा लगता है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता विचार कर रहे हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए.