एनडीएमसी से जारी परिपत्र के अनुसार महापौर तय करेंगे कि पार्षद कौन सा सवाल पूछेंगे, कौन नहीं
By भाषा | Published: November 6, 2020 10:50 AM2020-11-06T10:50:51+5:302020-11-06T10:50:51+5:30
नयी दिल्ली, पांच नवंबर आम आदमी पार्टी (आप) ने दावा किया कि भाजपा शासित नगर निगम ने एक असंवैधानिक परिपत्र जारी किया है, जिसके जरिए महापौर इस बात का फैसला करेगा कि पार्षद क्या प्रश्न पूछ सकता है।
‘आप’ ने इस परिपत्र को तत्काल वापस लिए जाने की मांग की।
दिल्ली भाजपा ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि नगर निगम की बैठकों में लोकहित के प्रश्न उठाने संबंधी पार्षदों के अधिकार पर कोई प्रतिबंध लागू नहीं किया गया है।
‘आप’ नेता दुर्गेश पाठक ने एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि भाजपा सरकार को डर है कि उसके भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ हो जाएगा। इसलिए, विपक्ष को चुप कराने के लिए उन्होंने यह ‘‘फासीवादी तकनीक’’ अपनाई है और वे एक ‘‘असंवैधानिक’’ परिपत्र लेकर आए हैं, जिसके तहत महापौर यह फैसला करेगा कि पार्षद कौन सा प्रश्न पूछ सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एमसीडी के कुशासन एवं भ्रष्टाचार का खुलासा कर सकने वाले और भाजपा के खिलाफ उठने वाले प्रश्नों को रोकने के लिए उन्होंने तानाशाही का मार्ग अपनाया है। एमसीडी में हर पार्षद के पास प्राधिकारियों से प्रश्न पूछने का अधिकार है और यह उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। भाजपा शासित एमसीडी ने देखा कि उनके भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो रहा है और वे एमसीडी के निर्वाचित प्रतिनिधियों की आवाज दबाने की कोशिश कर रहे हैं।’’
पाठक ने कहा, ‘‘आम आदमी पार्टी का मानना है कि यह परिपत्र लोकतंत्र के खिलाफ है और यह दिल्ली वासियों के साथ एक मजाक है। हमारा मानना है कि यह असंवैधानिक है। आम आदमी पार्टी की मांग है कि परिपत्र को तत्काल वापस लिया जाए।’’
दिल्ली भाजपा प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने आरोप लगाया कि प्रश्न पूछने संबंधी पार्षद के विशेषाधिकार को लेकर पाठक का बयान तथ्यों की ‘‘आधी जानकारी’’ पर आधारित है।
कपूर ने कहा, ‘‘एमसीडी की बैठकों में लोक हित के प्रश्न पूछने के पार्षद के अधिकार पर कोई प्रतिबंध लागू नहीं किया गया है। वे खुल कर सवाल पूछ सकते हैं।