दिल्ली में गहराया कोरोना संकट, छठ पर रोक लगाकर कोर्ट ने कहा- पर्व मनाने के लिए जिंदा रहना जरूरी है
By अनुराग आनंद | Published: November 18, 2020 03:03 PM2020-11-18T15:03:05+5:302020-11-18T15:34:15+5:30
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएम) के अध्यक्ष द्वारा जारी प्रतिबंध के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। छठ से ठीक पहले दिल्ली में कोरोना की वजह से स्थिति गंभीर हो गई है। मिल रही जानकारी के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल सरकार के प्रस्ताव का एलजी की मंजूरी मिल गई है। अब दिल्ली में आयोजित होने वाले शादी समारोह में 50 से अधिक लोग अभी फिलहाल शामिल नहीं हो पाएंगे।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया कह रहे हैं कि दिल्ली में 90 फीसदी आईसीयू बेड भरे हुए हैं। सिसोदिया ने कहा कि केंद्र से 250 आईसीयू बेड की पहली खेप जल्द मिलेगी। उन्होंने बताया कि दिल्ली को केंद्र से 750 आईसीयू बेड मिलेंगे।
Lt Gov has given approval. This was essential as larger the crowd at a place, the more harmful it is. Lockdown won't be imposed but people have to be stopped from gathering in large numbers: Delhi Deputy CM Manish Sisodia on capping number of attendees at weddings in Delhi to 50 https://t.co/Q7P4DHDx58pic.twitter.com/wEX7GwleNi
— ANI (@ANI) November 18, 2020
खबरों की मानें तो दिल्ली में 26 हजार कोरोना संक्रमित होम आइसोलेशन में हैं। दिल्ली में कोरोना के 16 हजार बेड हैं। ऐसे में कोरोना वायरस मामले में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी से राजधानी दिल्ली में चिंताजनक स्थिति हो गई है। हालांकि, अभी दिल्ली में 50% बेड खाली है।
इसके साथ ही बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड-19 के मद्देनजर तालाबों और नदी के किनारों जैस सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा मनाने की अनुमति देने से इनकार किया है। कोर्ट ने कहा है कि पर्व-त्योहार मनाने के लिए जिंदा रहना बेहद जरूरी है।
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएम) के अध्यक्ष द्वारा जारी प्रतिबंध के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। डीडीएमए ने अपने आदेश में कहा था कि 20 नवंबर को छठ पूजा के लिए सार्वजनिक स्थलों पर कोई भीड़ जुटने की अनुमति नहीं होगी।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद वाली एक पीठ ने कहा कि पूजा के लिए लोगों को जमा होने की अनुमति देने से संक्रमण का प्रसार हो सकता है। यह कहते हुए पीठ ने याचिका खारिज कर दी। पीठ ने कहा कि मौजूदा समय में इस तरह की याचिका जमीनी सच्चाई से परे है।