मध्य प्रदेशः उपचुनाव हारे, मंत्रीपद से इमरती देवी और गिर्राज दंडौतिया ने दिया इस्तीफा, 6 माह तक बिना सदस्य रहेंगे मंत्री, जनता पर बोझ

By शिवअनुराग पटैरया | Published: November 17, 2020 08:42 PM2020-11-17T20:42:41+5:302020-11-17T20:43:52+5:30

एंदल सिंह कंसाना, इमरती देवी और गिर्राज दंडौतिया चुनाव हार गए थे. एंदल सिंह कंसाना ने तो 10 नवंबर को आए नतीजों के अगले रोज ही मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन दो मंत्रियों इमरती देवी और गिर्राज दंडौतिया ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया है.

aaj ka taja samachar Madhya Pradesh by-election Imarti Devi Girraj Dandautia not resign cm shivraj singh | मध्य प्रदेशः उपचुनाव हारे, मंत्रीपद से इमरती देवी और गिर्राज दंडौतिया ने दिया इस्तीफा, 6 माह तक बिना सदस्य रहेंगे मंत्री, जनता पर बोझ

मंत्रिमंडल में 2 किस्तों में 14 सिंधिया समर्थकों ने विधानसभा सदस्य बने थे. मंत्री पद की शपथ ली थी. (file photo)

Highlightsसंवैधानिक प्रावधान का लाभ लेना चाह रहे है जिसमें वह 6 माह तक बिना विधानसभा सदस्य बने मंत्री रह सकते है. इन लोगों ने 2 जुलाई को बिना विधानसभा का सदस्य रहते हुए मंत्री पद की शपथ ली थी. ज्योतिरातिय सिंधिया के बगावत किए जाने से कमलनाथ की सरकार चली गई थी इसके बाद 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने थे.

भोपालः मध्य प्रदेश में हाल ही में हुए उपचुनाव शिवराज सरकार के तीन मंत्री एंदल सिंह कंसाना, इमरती देवी और गिर्राज दंडौतिया चुनाव हार गए थे. एंदल सिंह कंसाना ने तो 10 नवंबर को आए नतीजों के अगले रोज ही मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन दो मंत्रियों इमरती देवी और गिर्राज दंडौतिया ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया है.

दोनों ही उस संवैधानिक प्रावधान का लाभ लेना चाह रहे है जिसमें वह 6 माह तक बिना विधानसभा सदस्य बने मंत्री रह सकते है. दरअसल इन लोगों ने 2 जुलाई को बिना विधानसभा  का सदस्य रहते हुए मंत्री पद की शपथ ली थी. गौरतलब है कि बीते मार्च माह में ज्योतिरातिय सिंधिया के बगावत किए जाने से कमलनाथ की सरकार चली गई थी इसके बाद 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने थे.

उनके मंत्रिमंडल में 2 किस्तों में 14 सिंधिया समर्थकों ने विधानसभा सदस्य बने थे. मंत्री पद की शपथ ली थी. इनमें से दो मंत्रियों तुलसी राम सिलावट और गोविन्द सिंह राजपूत का कार्यकाल 21 अक्टूबर को समाप्त हो गया था. इसके कारण उन्हें मंत्री मंडल से त्यागपत्र देना पड़ा था. क्योंकि वह दोनों ही उन दोनों को 21 अप्रैल को बिना विधायक होते हुए भी मंत्री मंडल की शपथ दिलाई गई थी.

इसके बाद 10 नवंबर को आए चुनावी नतीजों में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री एंदल सिंह कंसाना, महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी और कृषि राज्य मंत्री गिर्राज दंडौतिया चुनाव हार गए, इनमें से एक एंदल सिंह कंसाना ने तो नतीजों के आने एक रोज बाद ही इस्तीफा दे दिया था. लेकिन इमरती देवी और गिर्राज दंडौतिया बिना विधायक बने 6 माह मंत्री बने रहने के प्रावधान का लाभ लेते हुए 2 जनवरी तक मंत्री बने रहना चाहते है. क्योंकि उन्हें लगता है कि इस बीच उनका राजनीतिक पुनर्वास हो जाएगा.

भाजपा नेतृत्व भी  इसको लेकर गंभीर है. वह भी इस बात पर  विचार कर रहा है कि सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए और भाजपा प्रत्याशी बन कर चुनाव के मैदान में पराजित हुए लोगों का राजनीतिक पुनर्वास किया जाए. माना जा राह है कि इमरती देवी गिर्राज दंडौतिया समेत अन्य पराजित सिंधिया संमर्थको को निगम मंडलों में मंत्री पद के साथ समायोजित किया जा सकता है.

एक संभावना यह भी है कि इमरती देवी जैसे एक-दो लोगों को 6 माह की अवधि पूरा होने के बाद पुन: शपथ दिलाकर दुबारा मंत्री बना दिया जाए. क्योंकि मध्यप्रदेश में ऐसा पहले भी हो चुका है. दिग्विजय सिंह ने इब्राहिम कुरैशी को बिना विधायक बने मंत्री बनाया था और उनका जब उनका 6 माह का कार्यकाल पूरा हो गया तो उन्हें दुबारा शपथ दिला दी गई थी.

Web Title: aaj ka taja samachar Madhya Pradesh by-election Imarti Devi Girraj Dandautia not resign cm shivraj singh

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