Coronavirus: उज्जैन में 85 वर्ष के डॉक्टर नरेन्द्र ने विभिन्न बीमारियों से ग्रसित होने पर भी दे दी कोरोना को मात
By बृजेश परमार | Published: May 4, 2020 05:50 AM2020-05-04T05:50:58+5:302020-05-04T05:50:58+5:30
आरडी गार्डी मेडिकल कालेज की चिकित्सा व्यवस्थाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाने वालों को 85 वर्ष के डा. नरेन्द्र महाडिक ने स्वस्थ्य होकर करारा जवाब दिया है। स्वस्थ्य होकर घर जाने की तैयारी कर रहे डा. नरेन्द के अनुसार इस बीमारी से लड़ने के लिए कीप डिस्टेंस का पालन आवश्यक है। इसका हल्ला गुल्ला ज्यादा है मोर्टिलिटी कम।
आरडी गार्डी मेडिकल कालेज की चिकित्सा व्यवस्थाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाने वालों को 85 वर्ष के डा. नरेन्द्र महाडिक ने स्वस्थ्य होकर करारा जवाब दिया है। स्वस्थ्य होकर घर जाने की तैयारी कर रहे डा. नरेन्द के अनुसार इस बीमारी से लड़ने के लिए कीप डिस्टेंस का पालन आवश्यक है। इसका हल्ला गुल्ला ज्यादा है मोर्टिलिटी कम।
इंदौर के मल्हारगंज क्षेत्र में इस उम्र में भी आमजन की चिकित्सा सेवा करने वाले डा. महाडिक के अनुसार ई-पास की अनुमति मिलते ही वे अगले एक दो दिन में अपने घर इंदौर चले जाएंगे।अभी वे कालेज में ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं । वे 7 अप्रेल से बीमार हुए थे। उनके अनुसार वे कभी ज्यादा बीमार नहीं रहे ।करीब 27-28 साल पहले दुर्घटना में उनका एक पैर छोटा हो गया । तब से चलने फिरने में दिक्कत होती है।फिर भी चलता था।
अभी डाक्टरों ने उन्हें कम चलने के लिए कहा है वे उसका पालन करेंगे।उनके अनुसार आम जन को अपने उपर और उपर वाले पर पूरा विश्वास रखना चाहिए। समस्याएं और परेशानियों से घबराना नहीं चाहिए। उनके अनुसार वे पूर्ण स्वस्थ होकर फिर आमजन को मल्हारगंज क्लीनिक पर अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे।
डा. नरेन्द्र एक पैर की विकलांगता के साथ प्रोस्टेट कैंसर, सिरेबल हेमोरेजब्रेन, पार्किग सोनिजम की बीमारी से ग्रसित हैं साथ ही उनका अक्टुबर 2019 में ब्रेन की आट्ररी का आपरेशन भी हुआ है।
फार्मेंसी कोंसिल मध्य प्रदेश के अध्यक्ष ओम जैन के अनुसार वे इंदौर में समाज के छत्रपति शिवाजी स्कूल का संचालन में भी सक्रिय हैं तो मराठा इतिहास एवं कर्म गीता नामक पुस्तक भी लिख चुके हैं। समाज सेवा के कार्यों में हमेशा अग्रणी रहते हैं।
उनके छोटे भाई एवं आरडी गार्डी मेडिकल कालेज के डायरेक्टर डा. विजय महाडिक बताते हैं कि डा.नरेन्द्र 7 अप्रेल की रात को इंदौर स्थित अपने निवास पर बाथरूम में गिर गए थे । उनकी 3 पोती ने उन्हें देखा और मां को बताया कि दादाजी जमीन पर सो रहे हैं । उन्हें तत्काल उठा कर कार से युनिक हास्पिटल ले जाया गया ।वहां काफी जद्दोजहद के बाद उन्हे आईसीयू में उपचार दिया गया। सीटी स्केन में सीधे हाथ की और ब्रेन में हेमरेज के चलते पैरालिसियस अटैक आया था। वे अनकांसियस थे।
उनका उपचार शुरू हुआ लेकिन कोई न्यूरोलाजिस्ट उन्हें देखने आने को तैयार नहीं था। उनके तीनों बेटे विदेश में रहते हैं । ऐसे में हमने उन्हें वहां रखने की बजाय उज्जैन शिफ्ट करना ज्यादा उपयुक्त समझा। यहां चेरिटेबल अस्पताल में उन्हें एडमिट कर डा. गवारीकर ने ट्रीटमेंट शुरू किया। दूसरे दिन उनका सिटी ब्रेन एवं पैथालाजी करवाया गया। दो दिन में ही उनकी स्थिति में सुधार हुआ वे खाना खाने लगे।
उसी शाम उन्हें बुखार आया । दूसरे दिन सुबह एक्सरे करवाया जिसे डा. गवारीकर एवं डा. आरपी जुल्का ने देखकर निमोनिया की स्थिति बताई । 10 अप्रैल को उसी रात उन्हें आरडी गार्डी शिफ्ट किया गया। सेंपल जांच के लिए भेजा गया जहां से रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव की आई । इस दौरान उनकी दुसरी बीमारियों का भी उपचार जारी रहा ।
कोरोना पाजिटिव बुखार निमोनिया होने पर भी उन्हें न कभी खांसी चली न सांस । आरडी गार्डी में ही उनका उपचार चलता रहा, हाल ही में उनके दो सेंपल जांच करवाए गए दोनों निगेटिव आए। उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है लेकिन ई-पास में समस्या के चलते वे अभी अस्पताल में ही रूके हुए हैं। वे अपने घर पोतियों के पास इंदौर जाना चाहते हैं।