60 साल पुरानी रेलवे कैटरिंग सेवा अब जल्दी संसद भवन से होगी विदा

By शीलेष शर्मा | Published: June 30, 2020 05:16 PM2020-06-30T17:16:15+5:302020-06-30T17:16:15+5:30

रेलवे की यह सेवा  2001 में बंद हो चुकी है लेकिन तब केवल साउथ एवेन्यू में रेलवे की कैंटीन को संसद द्वारा बंद करने तक सीमित थी, संसद ने सेवा तो बंद की पर  वह सफल प्रयोग साबित नहीं हुआ क्यूंकि संसदीय सचिवालय बार बार रेल मंत्रालय से गुहार लगता रहा की वह पुनः कैटरिंग सेवा अपने हाथ में लेलें , परन्तु रेलवे ने स्पष्ट इंकार कर दिया।

60-year-old railway catering service will now depart soon from Parliament House | 60 साल पुरानी रेलवे कैटरिंग सेवा अब जल्दी संसद भवन से होगी विदा

कैंटीन के अलावा राज्य सभा और लोक सभा टीवी चैनल को मिला कर एक करने की योजना पर भी काम चल रहा है।

Highlightsराज्यसभा और लोकसभा की अलग-अलग सुरक्षा व्यवस्था को एक करने पर लगभग फैसला किया जा चुका है।आई टी डी सी के साथ लोक सभा सचिवालय में अनेक बैठकें हो चुकी हैं।

नई दिल्ली: पिछले 60 वर्षों से संसद भवन में सांसदों से लेकर कर्मचारियों, पत्रकारों और अधिकारियों को खानपान सेवा देने वाली रेलवे कैटरिंग अब अलविदा कहने की तैयारी कर रही है। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला और लोक सभा की महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव रेलवे कैटरिंग सेवाओं को हटा कर किसी बहार के ठेकेदार को खानपान की सेवा  देने  के लिए जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं।  

सूत्र बताते हैं कि सरकारी  क्षेत्र की कंपनी आई टी डी सी को संसद भवन ने खान पान सेवा देने  के लिए लोक सभा महासचिव इच्छुक हैं लेकिन अन्य वेंडरों के ऑफर आने के बाद , जिसमें राजस्थान के वेंडर भी शामिल हैं , फैसला लेने में देरी हो रही है।  हालाँकि  आई टी डी सी के साथ लोक सभा सचिवालय में अनेक बैठकें हो चुकी हैं। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार आई टी डी सी ने जो प्रस्ताव लोक सभा सचिवालय को दिया है उसमें उन्होंने साफ़ किया है कि खान पान व्यवस्था के वर्तमान ढाँचे में उनके लिए काम करना नामुमकिन है , उनको नए सिरे से ढाँचा खड़ा करना होगा।  

ग़ौरतलब है कि 1968 में रेलवे ने संसद भवन में अपनी कटेरीगन सेवा प्रारंभ की थी जिसे लेकर अनेक बार सब्सिडी को लेकर सवाल भी खड़े हो चुके हैं । अब तक  300 कर्मचारियों के साथ रेलवे पिछले  60 सालों से जो सेवा दे रहा था उसे विदा करने के लिए संसद में बैठे अधिकारी पुरज़ोर कोशिश में लगे हैं।  ज़ाहिर है कि यदि ऐसा होता है तो यह अधिकांश कर्मचारी बेरोज़गार हो जायेंगे। रेलवे की यह सेवा  2001 में बंद हो चुकी है लेकिन तब केवल साउथ एवेन्यू में रेलवे की कैंटीन को संसद द्वारा बंद करने तक सीमित थी, संसद ने सेवा तो बंद की पर  वह सफल प्रयोग साबित नहीं हुआ क्यूंकि संसदीय सचिवालय बार बार रेल मंत्रालय से गुहार लगता रहा की वह पुनः कैटरिंग सेवा अपने हाथ में लेलें , परन्तु रेलवे ने स्पष्ट इंकार कर दिया।  संसद द्वारा हर साल लगभग 17 -18 करोड़ की सब्सिडी खान पान सेवा के लिए दी जाती है जिसमें 12 करोड़ रुपया उन कर्मचारियों के वेतन पर खर्च होता है जो कैटरिंग सेवा देते हैं क्यूंकि उनकी नियुक्ति संसद भवन के लिए ही की गयी थी।  खान पान पर लगभग 3  करोड़ की सब्सिडी रेलवे को संसद से मिलती है।  यह सब्सिडी  लिए भी लागू रह सकती हैं।  लेकिन माना जा रहा है कि नए वेंडर आने से जहाँ खान पान सेवा महंगी होगी वहीँ संसद को नए सिरे से ढाँचा भी तैयार करना होगा। आई टी डी सी के अलावा हल्दीराम और राजस्थान के कुछ वेंडर खान पान सेवा के लिए कोशिश कर रहे हैं।  

कैंटीन के अलावा राज्य सभा और लोक सभा टीवी चैनल को मिला कर एक करने की योजना पर भी काम चल रहा है।वहीं  सांसदों को प्रशिक्षित करने के लिए दोनों सदनों की अब तक जो व्यवस्था थी उसे भी एक किया जा रहा है।  राज्य सभा और लोक सभा की अलग अलग सुरक्षा व्यवस्था को एक करने पर लगभग फैसला किया जा चुका है। माना जा रहा है कि जल्दी ही दोनों सदनों के अनेक विभागों की संख्या को घटा कर दोनों सदनों के लिए एक ही विभाग में काम की व्यवस्था अमल में आ सकती है।  

Web Title: 60-year-old railway catering service will now depart soon from Parliament House

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