26/11 Mumbai Attack के वो 5 असली हीरो, जिन्होंने जान देकर बचाई कई जिंदगियां
By गुणातीत ओझा | Published: November 26, 2020 05:00 PM2020-11-26T17:00:17+5:302020-11-26T17:03:15+5:30
60 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद सुरक्षाबलों को सफलता मिली थी और 9 आतंकी मारे गए थे, जबकि एक आतंकी अजमल आमिर कसाब जिंदा पकड़ा गया था। इस दौरान बहादुर जवानों और पुलिसकर्मियों ने दहशतगर्दों का डटकर मुकाबला किया था और कई बेगुनाहों की जान बचाने में सफल हुए थे।
आज एक बार फिर मुंबई हमलों की यादें लोगों के दिलों को झकझोर रही हैं। आतंकियों द्वारा दिए गए कभी न मिट पाने वाले जख्मों को याद कर आज फिर आंखें नम हैं। साल 2008 में 26 नवंबर को मुंबई में हुए भयानक आतंकी हमले (26/11 Mumbai Attack) की आज बरसी है। मुंबई हमले को 12 साल हो गए हैं। पाकिस्तान (Pakistan) से आए 10 आतंकियों ने मुंबई को गोलीबारी और बम धमाकों से दहला दिया था। आतंकियों ने दक्षिण मुंबई के प्रमुख स्थानों छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) रेलवे स्टेशन, नरीमन हाउस कॉम्प्लेक्स, लियोपोल्ड कैफे, ताज होटल, ताज टॉवर, ओबेरॉय-ट्राइडेंट होटल और कामा अस्पताल को निशाना बनाया था। इस आतंकी हमले में करीब 160 लोगों की जान गई थी, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। 60 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद सुरक्षाबलों को सफलता मिली थी और 9 आतंकी मारे गए थे, जबकि एक आतंकी अजमल आमिर कसाब जिंदा पकड़ा गया था। इस दौरान बहादुर जवानों और पुलिसकर्मियों ने दहशतगर्दों का डटकर मुकाबला किया था और कई बेगुनाहों की जान बचाने में सफल हुए थे। आज हम आपको बताने जा रहे हैं उन वीर जवानों के बारे में जिन्होंने लोगों की जान बचाने के लिए खुद शहीद हो गए।
हेमंत करकरे
Hemant Karkare
हेमंत करकरे उस समय मुंबई एटीएस के प्रमुख थे। उन्हें 26 नवंबर को रात 9.45 पर आतंकी हमले के बारे में जानकारी मिली। तब वह अपने घर पर थे और खाना खा रहे थे। वह तुरंत अपने ड्राइवर और बॉडीगार्ड के साथ सीएसटी स्टेशन के लिए रवाना हो गए। वहां उन्हें पता चला कि आतंकवादी अब कामा अस्पताल की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने एसीपी अशोक काम्टे, इंस्पेक्टर विजय सालस्कर के साथ मोर्चा संभाला। कामा हॉस्पिटल के बाहर मुठभेड़ में आतंकियों की अंधाधुंध फायरिंग में वह शहीद हो गए। मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
तुकाराम ओंबले
Tukaram Omble
मुंबई पुलिस के एएसआई तुकाराम ओंबले ने अपनी बहादुरी दिखाते हुए आतंकी अजमल कसाब का बिना किसी हथियार के सामना किया और उसे पकड़ लिया। इस दौरान कसाब ने उन पर फायरिंग की थी और वह शहीद हो गए। मरणोपरांत तुकाराम ओंबले को सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
Ashok Kamte
मुंबई पुलिस के एसीपी अशोक काम्टे भी कामा अस्पताल के पास मुठभेड़ के समय एटीएस चीफ हेमंत करकरे के साथ मौजूद थे। कामा हॉस्पिटल के बाहर आतंकी इस्माइल खान ने उन पर गोलियां चलाई और एक गोली उनके सिर में लग गई। घायल होने के बावजूद अशोक काम्टे ने दुश्मन को मार गिराया। मरणोपरांत एसीपी अशोक काम्टे को सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
विजय सालस्कर
Vijay Salaskar
विजय सालस्कर मुंबई पुलिस के एक ऐसे अफसर थे, जिन्हें एनकाउंटर स्पेशालिस्ट कहा जाता था। वह कामा अस्पताल के पास मुठभेड़ के समय एटीएस चीफ हेमंत करकरे और अशोक काम्टे के साथ मौजूद थे। हमले के दौरान उस गाड़ी में सवार थे, जिसपर आतंकी कसाब और उसके साथी ने गोलियां बरसाई थीं। शहीद विजय को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन
Major Sandeep Unnikrishnan
नेशनल सिक्यॉरिटी गार्ड्स (एनएसजी) के कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन 26/11 हमले के दौरान मिशन ऑपरेशन ब्लैक टारनेडो का नेतृत्व कर रहे थे। ताज होटल के पास आतंकियों से लड़ाई में वह शहीद हो गए। मरणोपरांत साल 2009 में उनको अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
इन्होंने भी दिखाई बहादुरी
इन पांच बहादुरों के अलावा हवलदार गजेंद्र सिंह, नागप्पा आर. महाले, किशोर के. शिंदे, संजय गोविलकर, सुनील कुमार यादव और कई अन्य ने भी बहादुरी की मिसाल पेश की। इसके अलावा ताज होटल के जनरल मैनेजर करमबीर सिंह कांग ने भी अपनी बहादुरी और सूझबूझ से कई मेहमानों की जान बचाई थी।