दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद के 9 अस्पताओं में नहीं मिला बेड, आखिरकार महिला ने तोड़ दिया दम

By निखिल वर्मा | Published: June 9, 2020 08:39 AM2020-06-09T08:39:01+5:302020-06-09T10:59:38+5:30

कोरोना वायरस महामारी संकट के बीच लोगों को अन्य बीमारियों का इलाज कराने में भारी दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है. अस्पताल उन्हें भर्ती करने से मना कर दे रहे हैं.

48 year woman fails to get bed in 9 hospitals of delhi noida ghaziabad dies | दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद के 9 अस्पताओं में नहीं मिला बेड, आखिरकार महिला ने तोड़ दिया दम

एनसीआर में तीन ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जहां इलाज नहीं मिलने पर मरीज की मौत हो गई (प्रतीकात्मक तस्वीर.)

Highlightsमरने वाली महिला का बेटा दो दिनों तक अस्पताओं का चक्कर काटता रहा लेकिन किसी अस्पताल ने भर्ती नहीं कियाकुछ अस्पताओं ने कोविड-19 प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए गंभीर मरीज की भी कोरोना रिपोर्ट मांग लीनीलम नामक एक गर्भवती महिला की प्रसव के लिए अस्पताल ढूंढने के दौरान मौत हो गई थी।

सांस की समस्या से पीड़ित 48 वर्षीय महिला ने मेरठ मेडिकल कॉलेज में रविवार को इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। महिला ने परिजनों ने इलाज के लिए दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के नौ अस्पतालों में चक्कर काटे थे लेकिन किसी हॉस्टिपल में एडमिशन नहीं मिला।

एनसीआर में पिछले दिनों में यह तीसरी घटना है जब मरीज को इमरजेंसी इलाज की जरूरत थी लेकिन अस्पतालों ने उनसे मुंह मोड़ लिया। इससे पहले आठ महीने की गर्भवती महिला को उस समय दम तोड़ना पड़ा था जब कोविड-19 के प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए उसे अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया।

खोड़ा के प्रताप विहार कॉलोनी  में रहने वाली ममता देवी को शनिवार की सुबह सांस लेने की समस्या हुई। उनके बेटे अर्जुन सिंह तरागी और कुछ परिजनों ने पहले उन्हें दिल्ली के एक अस्पताल में एंबुलेंस से लेकर गए। उन्हें बताया गया कि अस्पताल में बेड नहीं है। अर्जुन सारा दिन अन्य अस्पताल में मां को एडमिट कराने के लिए भटकते रहे। दिल्ली के तीन अस्पताओं में बेड नहीं मिलने पर वह मां को लेकर नोएडा के कैलाश और मेट्रो हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। अर्जुन ने दावा किया है कि दोनों जगह उनसे पूछा गया कि क्या उनकी मां का कोविड-19 टेस्ट हो चुका है, इसके बिना वह भर्ती नहीं कर सकते हैं।

गाजियाबाद के एमएमजी अस्पताल में उनकी मां को कुछ इंजेक्शन देकर डिस्चार्ज कर दिया गया। एमएमजी अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने वैशाली और कौशाम्बी के कुछ नर्सिंग होम में बेड के लिए पता किया लेकिन उन्होंने कहा कि उपकरणों के अभाव में वह इमरजेंसी मरीज को भर्ती नहीं कर सकते। वह रात में अपनी मां को लेकर घर आ गए।

अर्जुन के पिता बेंगलुरु के प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं और लॉकडाउन की वजह से वहां से आने में असमर्थ हैं। रविवार सुबह फिर ममता देवी को सांस लेने में समस्या हुई। उन्होंने सरकारी एंबुलेंस को बुलाना चाहा लेकिन वह मिली नहीं। एक स्थानीय नेता की मदद से प्राइवेट एंबुलेंस से ममता के एक सरकारी अस्पताल में ले जाया गया। वहां इलाज नहीं मिलने पर कड़कड़डूमा के प्राइवेट अस्पताल पहुंचे, वहां भी उन्हें बेड नहीं मिली।

छह घंटे चक्कर काटने के बाद अर्जुन अपनी मां को लेकर फिर गाजियाबाद के एमएमजी अस्पताल लेकर गए। इस बीच उनकी हालत ज्यादा खराब हो गई। डॉक्टर ने कुछ दवाएं देकर उन्हें मेरठ ट्रांसफर कर दिया। इलाज के दौरान ही ममता ने रविवार रात दस बजे दम तोड़ दिया।

गर्भवती महिला को नहीं मिला इलाज, दम तोड़ा

इससे पहले ग्रेटर नोएडा में शुक्रवार को नीलम नामक एक गर्भवती महिला की प्रसव के लिए अस्पताल ढूंढने के दौरान मौत हो गई थी। नीलम के पति विजेंदर सिंह के मुताबिक उन्होंने कुछ सरकारी अस्पतालों समेत आठ चिकित्सालयों के दरवाजे खटखटाए लेकिन सभी ने उनकी पत्नी को प्रसव के लिए भर्ती करने से इनकार कर दिया। गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

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