लॉकडाउन में फंसे प्रवासियों को गंतव्य स्थानों तक पहुंचाने के लिए 4286 श्रमिक विशेष ट्रेन चली, 58 लाख लोग पहुंचे घर
By अनुराग आनंद | Published: June 6, 2020 04:04 PM2020-06-06T16:04:07+5:302020-06-06T16:04:07+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को प्रवासियो को घर पहुंचाने के लिए 15 दिन का समय दिया है।
नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान फंसे करीब 58 लाख प्रवासियों को उनके गंतव्य स्थानों पर ले जाने के लिए अब तक 4,286 श्रमिक विशेष ट्रेनें संचालित की गई हैं। इन ट्रेनों की मांग 250 से घटकर लगभग 137 प्रति दिन हो गई है। हमने पिछले 2 दिनों में 56 ट्रेनों का संचालन किया। इस बात की जानकारी अध्यक्ष रेलवे बोर्ड विनोद कुमार यादव ने दी है।
बता दें कि प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को अहम निर्देश दिया है। शीर्ष कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों ने कहा कि प्रवासियो को घर पहुंचाने के लिए 15 दिन का समय दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी कामगारों की दुदर्शा पर स्वत: संज्ञान लिये गये मामले में सुनवाई की।
58 लाख प्रवासियों को उनके गंतव्य स्थानों पर ले जाने के लिए अब तक 4,286 श्रमिक विशेष ट्रेनें संचालित की गई हैं। इन ट्रेनों की मांग 250 से घटकर लगभग 137 प्रति दिन हो गई है। हमने पिछले 2 दिनों में 56 ट्रेनों का संचालन किया: विनोद कुमार यादव, अध्यक्ष रेलवे बोर्ड pic.twitter.com/joP9CDzNG3
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 6, 2020
सुनवाई के दौरान केंद्र का कहना है कि अब तक एक करोड़ से ज्यादा प्रवासियों को उनके पैतृक स्थान पहुंचाया गया, जबकि रेलवे के अधिकारी ने 58 लाख मजदूरों को घर पहुंचाने की बात ही कही है।
केन्द्र ने न्यायालय से कहा कि इन कामगारों को उनके पैतृक स्थान पहुंचाने के लिये तीन जून तक 4200 से ज्यादा श्रमिक ट्रेनें चलाई गयीं।
सरकार के वकील ने कहा कि अभी तक एक करोड़ से ज्यादा श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया है और अधिकांश ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार में खत्म हुयी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें बता सकती है कि अभी और कितने प्रवासी कामगारों को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है ओर इसके लिये कितनी रेलगाड़ियों की जरूरत होगी। इस मामले में अभी सुनवाई जारी है।
पानी, भोजन और दवा की आपूर्ति नहीं होने के कारण किसी मजदूर की मौत नहीं हुई: मोदी सरकार
केंद्र ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि पानी, भोजन और दवा की आपूर्ति नहीं होने के कारण किसी मजदूर की मौत नहीं हुयी है और ऐसी घटनाओं का कारण लोगों का पहले से बीमार होना है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पूरा देश “मिलकर” काम कर रहा है और अदालत में दी गयी कई दलीलें जमीनी सच्चाई से संबंधित नहीं हैं।
सॉलिसिटर जनरल ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा, ‘‘ पानी, भोजन या दवा की आपूर्ति नहीं होने के कारण कोई मौत नहीं हुई है। ये मौतें पहले से ही बीमार होने के कारण हुयी हैं।”
पीठ प्रवासी श्रमिकों की परेशानियों के संबंध में स्वत: संज्ञान लेते हुए एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। पीठ ने कहा कि वह केंद्र और राज्य सरकारों को सभी इच्छुक प्रवासी श्रमिकों को मूल स्थानों पर भेजने के लिए 15 दिनों का समय देगी।
सॉलिसिटर जनरल का बयान इन आरोपों के मद्देनजर महत्वपूर्ण है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में कई लोगों की मौत हो गई। 27 मई को खबर थी कि 48 घंटों के दौरान कम से कम नौ यात्रियों की ट्रेनों में मौत हो गयी। रेलवे ने कहा था कि वे सभी पहले से बीमार थे।