मुंबई से 14 दिनों तक पैदल चलकर UP के गांव पहुंचा 35 वर्षीय शख्स, क्वारंटाइन सेंटर में हुई मौत, पत्नी ने कहा- सिर्फ बिस्किट खाए थे
By पल्लवी कुमारी | Published: April 29, 2020 09:05 AM2020-04-29T09:05:55+5:302020-04-29T09:05:55+5:30
भारत में कोरोना वायरस के मद्देनजर 24 मार्च से लॉकडाउन है, जो तीन मई तक जारी रहेगा। इस दौरान देश में लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूरों ने पैदल चलकर अपने घर पहुंचने को मजबूर हुए।
श्रावस्ती: उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में एक क्वारंटाइन सेंटर में 35 वर्षीय शख्स इंसाफ अली की मौत हो गई है। इंसाफ अली ने 14 दिन पहले मुंबई से श्रावस्ती जिला आने के लिए पैदल चलना शुरू किया था। लॉकडाउन के दौरान वह पुलिस वालों से काफी बचता हुआ आया था। लगभग 1500 किलोमीटर पैदल चलकर जैसे ही इंसाफ अली सोमवार (27 अप्रैल) को अपने गांव के बाहरी इलाके में पहुंचे और उसे तुरंत जिले के मल्हीपुर पुलिस स्टेशन के अंतर्गत मटखनवा में एक क्वारंटीन सेंटर में ले जाया गया। जहां कुछ घंटो बाद उसकी मौत हो गई। इंसाफ अली का कोरोना रिपोर्ट आनी बाकी है। अगर इंसाफ अली का कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आता है तो ही प्रशासन उसका पोस्टमार्टम करवाएगी। मुंबई के वसई में रहने वाले मजदूर इंसाफ अली को रास्ते में खाने पीने की काफी दिक्कतें हुई थी।
श्रावस्ती के पुलिस अधीक्षक अनूप कुमार सिंह ने कहा कि अली सुबह 7 बजे के करीब मटखनवा पहुंचे और स्थानीय स्कूल में बुनियादी परीक्षण करने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि इंसाफ अली को नाश्ता भी दिया गया जिसके बाद उन्होंने आराम किया। लेकिन, 5 घंटे के बाद उन्हें पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द की शिकायत शुरू हुई और तीन बार उल्टी भी हुई। इससे पहले कि डॉक्टरों को बुलाया जाता, अली की मौत हो गई।
पत्नी ने कहा- मैंने आखिरी बार बात की तो पता चला उन्होंने सिर्फ बिस्किट खाए थे
इंसाफ अली की 32 वर्षीय पत्नी सलमा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जब उन्होंने अपने पति से आखिरी बार बात की थी तो पता चला था कि उन्होंने सिर्फ बिस्किट खाया है। सलमा ने कहा, वह अपने पति को आखिरी बार देख भी नहीं पाई थी...क्योंकि वह अपने माता-पिता के घर पर थी और जब लौटी तो उससे पहले ही उनका का शव निकाल लिया गया था।
इंसाफ अली का एक छह साल का बेटा इरफान है। अली के बाकी परिवार, जिसमें उसके माता-पिता और उसके भाई क्वारंटाइन में हैं। अली के दो बड़े भाई भी प्रवासी मजदूर हैं, और वर्तमान में पंजाब में फंसे हुए हैं।
सलमा ने कहा अली 13 अप्रैल को मुंबई से निकला था, उसने बताया कि उसके पास पैसे नहीं हैं। उन्हें हफ्तों से काम नहीं मिला है। आने की वजह बताते हुए अली ने कहा था, गांव में, वह कम से कम परिचित लोगों के आसपास होंगे और प्रबंधन करेंगे।