भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार का वार, 312 शीर्ष अफसरों को जबरन हटाया गया
By हरीश गुप्ता | Published: July 11, 2019 07:31 AM2019-07-11T07:31:20+5:302019-07-11T07:36:59+5:30
एक बड़े खुलासे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में यह जानकारी देते हुए बताया है कि सरकार ने एफआर 56 (जे) के तहत ग्रुप ए के 36,756 और ग्रुप बी के 82,654 अधिकारियों के व्यवहार और कामकाज की पड़ताल की थी.
केंद्र सरकार ने मंगलवार को खुलासा किया कि उसने अनुशासन से संबंधित प्रावधानों के तहत ग्रुप ए के 125 और ग्रुप बी के 187 अधिकारियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. इससे पहले केवल दो दर्जन आईआरएस और कस्टम अधिकारियों को नियम 56 (जे) के तहत वक्त से पहले सेवानिवृत्ति देने/बर्खास्तगी की खबरें ही सार्वजनिक हो सकी थीं.
एक बड़े खुलासे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में यह जानकारी देते हुए बताया है कि सरकार ने एफआर 56 (जे) के तहत ग्रुप ए के 36,756 और ग्रुप बी के 82,654 अधिकारियों के व्यवहार और कामकाज की पड़ताल की थी.
लगभग 1.20 लाख अधिकारियों की यह समीक्षा जुलाई 2014 से मई 2019 के कार्यकाल के लिए की गई थी. इनमें से 312 के खिलाफ कार्रवाई की गई. मोदी ने लिखित जवाब में बताया कि अनुशासन संबंधी नियमों के तहत सरकार को भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ उपलब्ध सबूतों के आधार पर ऐसी कार्रवाई का अधिकार है.
आधारभूत नियमों (एफआर) 56 (जे), केंद्रीय सिविल सेवा (सीसीएस) (पेंशन) नियम क्र. 48, अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियम 1958 के तहत सरकार को आवधिक समीक्षा और समय पूर्व सेवानिवृत्ति देने के अधिकार मिले हुए हैं.
यह एक अनवरत प्रक्रिया है. प्रधानमंत्री, द्रमुक के ए. राजा के सवाल का जवाब दे रहे थे, जो यह जानना चाहते थे कि सरकार ने पूरे देश में कुछ सरकारी अधिकारियों को वक्त से पहले सेवानिवृत्ति दी है या फिर यह कार्रवाई केवल उन अधिकारियों पर की गई है जिनके खिलाफ आरोप साबित तो नहीं हो सके हैं, लेकिन मामले विचाराधीन हैं.