मानसून सत्र के पहले ही दिन 30 सांसद पाए गए कोरोना संक्रमित, करीब 50 सचिवालय कर्मचारी भी मिले पॉजिटिव
By भाषा | Published: September 14, 2020 06:19 PM2020-09-14T18:19:35+5:302020-09-14T19:52:49+5:30
आज से (सोमवार) शुरू हो रहे मानसून सत्र में स्वास्थ्य मंत्रालय की सभी गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन किया गया। संसद में उन्हीं सांसदों, कार्मिकों को जाने की इजाजत है, जिनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव होगी।
नई दिल्ली: संसद के सोमवार से शुरू हुए मानसून सत्र में शामिल होने के लिए की गई कोविड-19 जांच में करीब 30 सांसद और संसद के 50 से अधिक कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए।
टीओआई की मानें तो मानसून सत्र की शुरूआत होने से पहले, सभी सांसदों ओर लोकसभा तथा राज्यसभा के सचिवालयों के कर्मचारियों की आवश्यक कोविड-19 की जांच की गई। सूत्रों ने बताया कि इन जांचों की रिपोर्ट के अनुसार, करीब 30 सांसद और सचिवालयों के 50 से अधिक कर्मचारी कोविड-19 से संक्रमित पाए गए।
उन्होंने बताया कि संक्रमित पाए गए सभी सांसदों और कर्मचारियों से संसद न आने और पृथक-वास में जाने के लिए कहा गया है। सोमवार से शुरू हुआ मानसून सत्र एक अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान कोविड-19 महामारी को देखते हुए बैठकें दो पालियों में होंगी। राज्यसभा की बैठक सुबह और लोकसभा की बैठक दोपहर को होगी।
बता दें कि सांसद अपनी उपस्थिति डिजिटल माध्यम से दर्ज कराएंगे। सदन में प्रवेश करने वाले सभी लोगों के शरीर के तापमान को जांचने के लिए थर्मल गन और थर्मल स्कैनर का उपयोग किया गया है। सदन के भीतर 40 स्थानों पर टचलेस सैनिटाइटर लगाए गए हैं।
असाधारण हालातों में संसद की कार्यवाही हो रही है
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि असाधारण हालातों में संसद की कार्यवाही हो रही है, सरकार का चर्चा से भागने का कोई इरादा नहीं है। जब यह मुद्दा उठा तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुझाव दिया कि शून्य काल में सांसद अपने सवाल पूछ सकते है।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इसका विरोध करते हुए दलील दी कि प्रश्न काल एक महत्त्वपूर्ण समय है, केवल प्रश्न काल को समाप्त कर आप लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश कर रहे है। संसद की कार्रवाई शुरू होने से पहले कोरोना को लेकर सभी तैयारियाँ की गयी और केवल 172 सांसदों को एक समय में हिस्सा लेने की अनुमति दी गयी।
कार्रवाई में हिस्सा लेने वाले सभी सांसदों और संसद के कर्मियों की कोरोना जांच कराई गयी, जिनकी संख्या लगभग 4000 थी। सरकार ने अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पुनर्स्थापित करने के लिए जो विधेयक पेश किये , कांग्रेस सहित विपक्ष ने उसका विरोध किया और सरकार पर आरोप लगाया कि वह संघीय ढाँचे के खिलाफ काम कर रही है।
जो कार्य राज्य के अधिकार क्षेत्र में हैं उनमें केंद्रीय सरकार दखल दे रही है
राज्यों को विश्वास में नहीं लिया गया, जो कार्य राज्य के अधिकार क्षेत्र में हैं उनमें केंद्रीय सरकार दखल दे रही है। किसानों को लेकर लाये गए विधेयक पर कांग्रेस के गोगोई, अधीर रंजन चौधरी और शशि थरूर ने अपना विरोध जताते हुए आरोप लगाया कि ये विधेयक किसान विरोधी है और उद्योगपतियों को किसानों का शोषण करने वाला है।
सरकार का इरादा 23 विधेयकों को पारित कराने का है जबकि इसमें 11 ऐसे विधेयक शामिल हैं जिन पर सरकार पहले ही अध्यादेश ला चुकी है। इनमें 4 कृषि क्षेत्र से और 1 बैंकिगं से जुड़ा है। सबसे हैरानी की बात तो यह थी कि सांसदों ने जो लिखित प्रश्न पूछे उनमें 60 - 70 प्रश्न लॉक डाउन, मज़दूरों के पलायन, कोरोना और बेरोज़गारी से जुड़े थे लेकिन सरकार की तरफ से इन सवालों के जवाब में न तो कोई आंकड़ा दिया गया और ना ही कोई ठोस उत्तर। सरकार केवल यह बताती रही कि उसने लोगों की कितनी मदद की है। संसद के बाहर गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार जो विधेयक लेकर आयी है वे किसानों को तबाह करने वाले है।