मध्य प्रदेश में पिछले दो साल में रेप के 28 मामलों में दोषियों को मिली फांसी की सजा
By भाषा | Published: December 10, 2019 05:07 AM2019-12-10T05:07:05+5:302019-12-10T05:07:05+5:30
मध्य प्रदेश में वर्ष 2018 में दुष्कर्म और दुष्कर्म कर हत्या के 19 मामले सामने आए थे, जिनमें से 18 मामले नाबालिगों के थे। इन सभी 19 मामलों में दोषियों को फांसी की सजा हुई है।
मध्य प्रदेश में पिछले दो सालों में बलात्कार के 28 मामलों में दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (अभियोजन) पुरुषोत्तम शर्मा ने सोमवार को यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘दुष्कर्म करने वालों को सजा दिलाने में मध्य प्रदेश पुलिस का रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है। पिछले दो साल में राज्य में दुष्कर्म के 28 मामलों में दोषियों को फांसी की सजा मिली है।’’
उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में दुष्कर्म और दुष्कर्म कर हत्या के 19 मामले सामने आए थे, जिनमें से 18 मामले नाबालिगों के थे। इन सभी 19 मामलों में दोषियों को फांसी की सजा हुई है। इसके चलते मध्य प्रदेश देश में पहला राज्य है, जिसका नाम इस संदर्भ में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉडर्स लंदन में दर्ज हुआ है।
शर्मा ने बताया कि इसी प्रकार 2019 में भी 9 मामले दुष्कर्म के हैं, जिनमें फांसी की सजा हुई है। शर्मा ने बताया कि पुलिस अभियोजन विभाग ने पोक्सो और दुष्कर्म के मामले में एक त्रिस्तरीय व्यवस्था लागू की है। इसका जिला अभियोजन अधिकारी पूरे सबूत देखेगा, जिससे केस मजबूत बना रहे।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के मुख्यालय में हर मामले की निगरानी वह खुद करेंगे। इसके साथ हर जिला स्तर पर एक ‘गवाह सहायता डेस्क’ बनाई है, जिसमें गवाह को अपना पक्ष मजबूती से रखने के लिए तैयार किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि अभी तक दुष्कर्म के कई मामलों में गवाहों को लोग प्रभावित कर देते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। शर्मा ने बताया कि पीड़ित से लेकर गवाहों को सुरक्षा से लेकर अदालत तक आने-जाने का खर्चा तक विभाग देगा।
उन्होंने बताया कि कटनी में एक बच्चे के दुष्कर्म के मामले में विभाग ने मात्र पांच दिन में पूरे सबूत एकत्र करके फांसी की सजा दिलाई थी। इसलिए ऐसे सभी मामलों को मजबूती से फास्ट ट्रैक कोर्ट में लेकर काम किया जाएगा।
शर्मा ने कहा कि प्रदेश में अभियोजन अधिकारियों की कमी नहीं हो, इसके लिए विभाग ने 324 पदों को भरने के लिए मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग को जानकारी भेज दी है। जल्दी ही इन पर नियुक्ति होगी, जिससे उनके अधिकारी अदालत में और बेहतर तरीके से पीड़ितों का पक्ष रख पाएंगे।