मध्यप्रदेश में वर्ष 2020 में हुई 26 बाघों की मौत, सरकार ने कहा मृत्यु दर के मुकाबले जन्म दर अधिक

By भाषा | Published: November 29, 2020 01:57 PM2020-11-29T13:57:35+5:302020-11-29T13:57:35+5:30

26 tigers died in Madhya Pradesh in the year 2020, the government said the birth rate is higher than the death rate | मध्यप्रदेश में वर्ष 2020 में हुई 26 बाघों की मौत, सरकार ने कहा मृत्यु दर के मुकाबले जन्म दर अधिक

मध्यप्रदेश में वर्ष 2020 में हुई 26 बाघों की मौत, सरकार ने कहा मृत्यु दर के मुकाबले जन्म दर अधिक

भोपाल, 29 नवंबर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अनुसार ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा प्राप्त मध्यप्रदेश में वर्ष 2020 में अब तक 26 बाघों की मौत हो चुकी है।

मध्यप्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि पिछले छह वर्षों में राज्य में बाघों की औसत मृत्यु दर उनकी जन्म दर की तुलना में कम है।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की वेबसाइट के अनुसार मध्यप्रदेश में इस वर्ष अब तक कुल 26 बाघों की मौत हुई हैं, जिनमें से प्रदेश के बाघ अभयारण्यों में 21 बाघ मरे हैं, जबकि पांच बाघ अन्य जंगलों में मरे हैं। सबसे अधिक 10 बाघों की मौत बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य में हुई है।

वर्ष 2019 में राज्य में 28 बाघों की मौत हुई थी और तीन बाघों के शरीर के अंग शिकारियों के कब्जे से जब्त किये गये थे।

आंकड़ों के अनुसार, देश में बाघों की संख्या में दूसरे स्थान पर रहने वाले कर्नाटक में इस साल अब तक आठ बाघों की मौत हुई है और दो बाघों के शरीर के अंगों की बरामदगी दर्ज की गई।

वहीं, कर्नाटक ने पिछले साल 12 बाघों को खोया था।

शाह ने कहा, ‘‘मध्यप्रदेश में वर्तमान में 124 बाघ शावक हैं। राष्ट्रीय बाघ आंकलन रिपोर्ट 2018 के दौरान बाघ शावकों की गणना नहीं की गई थी। बाघों की अगली गणना में हमारे पास 600 से अधिक बाघ होंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास बाघ ज्यादा हैं और उनके लिए जितनी जगह होनी चाहिए, उसके हिसाब से इलाका कम है। बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य का उदाहरण ही लें तो इसमें 125 बाघ हैं, जबकि इसमें केवल 90 बाघों को ही रखा जा सकता है।’’

शाह ने बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य में बाघों की बड़ी संख्या में होने वाली मौतों के लिए उनके बीच अपने क्षेत्र एवं प्रभुत्व को लेकर हुई लड़ाई को जिम्मेदार ठहराया।

गौरतलब है कि 31 जुलाई 2019 को जारी हुए राष्ट्रीय बाघ आंकलन रिपोर्ट 2018 के अनुसार 526 बाघों के साथ मध्यप्रदेश ने प्रतिष्ठित ‘टाइगर स्टेट’ का अपना खोया हुआ दर्जा कर्नाटक से आठ साल बाद फिर से हासिल किया है।

इससे पहले, वर्ष 2006 में भी मध्यप्रदेश को 300 बाघों के होने के कारण टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त था। लेकिन कथित तौर पर शिकार आदि की वजह से वर्ष 2010 में बाघों की संख्या घटकर 257 रह गई थी, जिसके कारण कर्नाटक ने मध्यप्रदेश से टाइगर स्टेट का दर्जा छीन लिया था। तब कर्नाटक में 300 बाघ थे।

वहीं, वर्ष 2014 में मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या बढ़कर 308 हुई। लेकिन मध्यप्रदेश बाघों की संख्या में देश में कर्नाटक (408) एवं उत्तराखंड (340) के बाद तीसरे स्थान पर खिसक गया था।

राष्ट्रीय बाघ आंकलन रिपोर्ट 2018 के अनुसार देश में सबसे अधिक 526 बाघ मध्यप्रदेश में थे, जबकि कर्नाटक 524 बाघों के साथ दूसरे स्थान पर है। इस प्रकार मध्यप्रदेश ने दो पायदान की छलांग लगाकर ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा फिर से पाया।

वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने कहा कि मध्यप्रदेश में विशेष बाघ सुरक्षा बल का अभाव है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने विशेष बाघ सुरक्षा बल के गठन के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है जो लंबित है। कर्नाटक में इस तरह का एक विशेष बल है। इस प्रकार वहां पर बाघों की रक्षा होती है।’’

दुबे ने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2006 में राज्यों से विशेष बाघ सुरक्षा बल बनाने के लिए कहा था और इसका खर्च वहन करने की पेशकश भी की थी, लेकिन मध्यप्रदेश ने अब तक इसका गठन नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक में पांच बाघ अभयारण्य हैं और वहां बाघों की संख्या (पिछली गिनती के अनुसार) मध्यप्रदेश से महज दो कम थी, जबकि मध्यप्रदेश में करीब छह बाघ अभयारण्य हैं।

दुबे ने कहा, ‘‘मध्यप्रदेश को इससे सीखना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि इस महीने की शुरुआत में मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में एक बाघ का कथित तौर पर शिकार कर दिया गया था और उसे दफना दिया गया था। उन्होंने कहा कि इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।

दुबे ने कहा कि पिछले महीने पन्ना बाघ अभयारण्य में भी एक बाघ का कटा हुआ सिर मिला था। इससे पता चलता है कि शिकारी अभयारण्य में भी बाघों का शिकार कर रहे हैं।

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