22 विपक्षी दलों की बैठक: सोनिया गांधी ने कहा, लॉकडाउन से निकलने के लिए कोई रणनीति नहीं, 20 लाख करोड़ पैकेज मजाक बना
By निखिल वर्मा | Published: May 22, 2020 04:24 PM2020-05-22T16:24:33+5:302020-05-22T16:32:05+5:30
सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों की हुई बैठक में अम्फान चक्रवात को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव पास किया गया है.
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में शुक्रवार को विपक्षी दलों की वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से बैठक हुई। बैठक की शुरुआत में सोनिया गांधी ने कहा, सरकार लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों को लेकर असमंजस में है और ना ही उसने इससे निकलने की कोई रणनीति तैयार की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का 20 लाख करोड़ रुपये का विशाल पैकेज देश के लिए एक क्रूर मजाक बन गया है।
Congress President Smt Sonia Gandhi’s opening remarks at the meeting of 22 like-minded Parties via video conferencing. pic.twitter.com/aRjXV3r7Sq
— Congress (@INCIndia) May 22, 2020
इस बैठक में चर्चा की शुरुआत से पहले नेताओं ने ‘अम्फान’ चक्रवात के कारण मारे गए लोगों की याद में कुछ पल मौन रखा। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, शिवसेना प्रमुख एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार, द्रमुक नेता एमके स्टालिन, राजद नेता तेजस्वी यादव, नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला समेत करीब 20 राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी इस बैठक से दूर रहीं हैं।
कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए गत 25 मार्च से देश में लॉकडाउन लगने के बाद बड़ी संख्या में श्रमिक बड़े शहरों से अपने घर जाने के लिए पैदल निकले। कई जगहों पर हुई दुर्घटनाओं में कई मजदूरों की मौत भी हो गई है। विपक्षी दलों ने सरकार पर प्रवासी श्रमिकों से जुड़े इस संकट से निपटने में विफल रहने का आरोप लगाया है।
संकट के समय सारी शक्तियां PMO तक ही सीमित
सोनिया गांधी ने लॉकडाउन से बाहर आने के लिए सरकार के पास कोई रणनीति नहीं होने का दावा करते हुए कहा कि संकट के इस समय भी सारी शक्तियां प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक सीमित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस सरकार में संघवाद की भावना को भूला दिया गया है और विपक्ष की मांगों को अनसुना कर दिया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध को 21 दिनों में जीतने की प्रधानमंत्री की शुरुआती आशा सही साबित नहीं हुई। ऐसा लगता है कि वायरस दवा बनने तक मौजूद रहने वाला है। मेरा मानना है कि सरकार लॉकडाउन के मापदंडों को लेकर निश्चित नहीं थी । उसके पास इससे बाहर निकलने की कोई रणनीति भी नहीं है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा करने और फिर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पांच दिनों तक इसका ब्यौरा रखे जाने के बाद यह एक क्रूर मजाक साबित हुआ। सोनिया के मुताबिक, हममें से कई समान विचारधारा वाली पार्टियां मांग कर चुकी हैं कि गरीबों के खातों में पैसे डाले जाएं, सभी परिवारों को मुफ्त राशन दिया जाए और घर जाने वाले प्रवासी श्रमिकों को बस एवं ट्रेन की सुविधा दी जाए। हमने यह मांग भी की थी कि कर्मचारियों एवं नियोजकों की सुरक्षा के लिए ‘वेतन सहायत कोष’ बनाया जाए। हमारी गुहार को अनसुना कर दिया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘ कई जानेमाने अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि 2020-21 में हमारे देश की विकास दर -5 प्रतिशत हो सकती है। इसके नतीजे भयावह होंगे।’’ सोनिया ने कहा, ‘‘ मौजूदा सरकार के पास कोई समाधान नहीं होना चिंता की बात है, लेकिन उसके पास गरीबों एवं कमजोर वर्ग के लोगों के प्रति करूणा का नहीं होना हृदयविदारक बात है।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘सरकार ने खुद के लोकतांत्रिक होने का दिखावा करना भी छोड़ दिया है। सारी शक्तियां पीएमओ तक सीमित हो गई हैं। संघवाद की भावना जो हमारे संविधान का अभिन्न भाग है, उसे भूला दिया गया है। इसका कोई संकेत नहीं है कि संसद के दोनों सदनों या स्थायी समितियों की बैठक कब बुलाई जाएगी।’’ सोनिया ने विपक्षी दलों के नेताओं से कहा, ‘‘रचनात्मक आलोचना करना, सुझाव देना, और लोगों की आवाज बनना हमारा कर्तव्य है। इसी भावना के साथ हम बैठक कर रहे हैं।’’
(एजेंसी इनपुट के साथ)