कच्चे लोहे के निर्यात में हुआ 12000 करोड़ का घोटाला, कांग्रेस ने पूछा ज़िम्मेदार कौन
By शीलेष शर्मा | Published: October 8, 2020 10:17 PM2020-10-08T22:17:12+5:302020-10-08T22:17:12+5:30
उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार निर्यात शुल्क की चोरी केवल इस कारण संभव हो सकी क्योंकि मोदी सरकार ने विदेश व्यापार के निर्यात सम्बन्धी क़ानूनों को तोड़ मरोड़ कर बदल दिया।
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद, 2014 से अब तक , लोह अयस्क का निर्यात कर देश की तमाम कंपनियों द्वारा 12000 करोड़ रुपए के निर्यात शुल्क की चोरी का मामला सामने आया है।
उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार निर्यात शुल्क की चोरी केवल इस कारण संभव हो सकी क्योंकि मोदी सरकार ने विदेश व्यापार के निर्यात सम्बन्धी क़ानूनों को तोड़ मरोड़ कर बदल दिया। ग़ौरतलब है कि 2014 से पहले लौह अयस्क के निर्यात की अनुमति केवल सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई एमएमटीसी को थी जिसे मोदी सरकार ने समाप्त कर अपने चंद पूंजीपति मित्रों के लिए खोल दिया।
इतना ही नहीं 2014 से पूर्व लोह अयस्क पर लगें वाला 30 फीसदी निर्यात शुल्क भी समाप्त किया गया। इस्पात मंत्रालय ने सबसे पहले 2014 में 64 फीसदी कंसंट्रेशन का नियम बदला और कुद्रेममुख आयरन ओर कंपनी को चीन , ताइवान , दक्षिण कोरिया और जापान में लोह अयस्क के निर्यात की अनुमति दे दी।
हैरानी की बात तो यह है , कि लोह अयस्क पर 30 फीसदी का शुल्क जारी रहेगा लेकिन यदि निर्यात करने वाली कंपनी इसी अयस्क को छर्रों के रूप में निर्यात करती है तो यह शुल्क लागू नहीं होगा। यही वह बिंदु था जिसकी आड़ में अयस्क का निर्यात करने वाली कंपनियों ने मोटी कमाई की और सरकार को करोड़ो का चूना लगा दिया।
आंकड़े बताते हैं कि 2014 से अब तक लग भाग 40000 करोड़ का लोह अयस्क निर्यात किया गया और यह निर्यात वह कंपनियां कर रही थी जिनके पास निर्यात की कोई अनुमति नहीं थी। कांग्रेस ने आज इस मुद्दे को उठाते हुए मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि कर की चोरी मोदी सरकार के इशारे पर की गयी है।
कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पूछा कि 2014 से अब तक क्या किसी एजेंसी इस चोरी की जांच पड़ताल की , क्या सरकार द्वारा कोई कार्रवाई की गयी , करोड़ो के घोटाले में प्राकृतिक संसाधनों की जो खुली लूट हुई आखिर उसके लिए ज़िम्मेदार कौन है।