बीटिंग द रिट्रीट के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का हुआ समापन, आकाश में जगमगाए 1000 स्वदेशी ड्रोन्स
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 29, 2022 07:19 PM2022-01-29T19:19:11+5:302022-01-29T19:23:51+5:30
इस बार बीटिंग द रीट्रीट समारोह में 1000 मेड इन इंडिया ड्रोन्स ने आकाश में जगमगाते हुए दिखाई दिए। इसके साथ लेजर प्रोजेक्शन के माध्यम से भारतीय स्वंतत्रता संग्राम की यात्रा को बताया गया।
नई दिल्ली: विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट के साथ ही गणतंत्र दिवस समारोह का समापन हो गया। शनिवार (29 जनवरी) को हुए बीटिंग द रीट्रीट सरेमनी में सेनाओं के बैंड्स की धुनों ने देखने वालों के रोम रोम में देशभक्ति का भाव भर दिया। इस बार का यह समारोह भी अपने आप में ऐतिहासिक रहा।
इस बार बीटिंग द रीट्रीट समारोह में 1000 मेड इन इंडिया ड्रोन्स ने आकाश में जगमगाते हुए दिखाई दिए। इसके साथ लेजर प्रोजेक्शन के माध्यम से भारतीय स्वंतत्रता संग्राम की यात्रा को बताया गया। इन सभी ड्रोन को सॉफ्टवेयर जैसे फ्लाइट कंट्रोलर, जीपीएस, मोटर नियंत्रक, ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन (जीसीएस) एल्गोरिदम जैसी तकनीकि चीजों से लैस किया गया है।
#WATCH | 1000 Made in India drones make different formations as part of the Beating Retreat ceremony at Vijay Chowk, Delhi pic.twitter.com/aSrE5krh0R
— ANI (@ANI) January 29, 2022
वहीं इस बार बीटिंग रिट्रीट समारोह के दौरान लेजर प्रोजेक्शन के माध्यम से दिल्ली के विजय चौक में भारत के स्वतंत्रता संग्राम और आजादी के बाद की यात्रा को बताया गया।
#WATCH | Laser projection narrates India's freedom struggle and its journey since Independence during the Beating Retreat ceremony at Vijay Chowk, Delhi pic.twitter.com/0Hc2XiT1h3
— ANI (@ANI) January 29, 2022
बीटिंग द रीट्रीट रिपब्लिक डे सेलीब्रेशन का हिस्सा होता है। दरअसल गणतंत्र दिवस का सेलीब्रेशन एक दिन का नहीं, बल्कि चार दिनों का होता है। गणतंत्र दिवस के आखिरी दिन बीटिंग द रिट्रीट का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही आधिकारिक रूप से गणतंत्र दिवस के आयोजनों का आधिकारिक रूप से समापन होता है। हर वर्ष 29 जनवरी की शाम को बीटिंग द रिट्रीट का आयोजन किया जाता है।
बीटिंग रिट्रीट ब्रिटेन की बहुत पुरानी परंपरा है, इसका असली नाम ‘वॉच सेटिंग’ है और यह सूर्य डूबने के समय मनाया जाता है, भारत में बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत सन 1950 से हुई।