फिल्म 'द टर्मिनल' से हूबहू मिलती है दिल्ली एयरपोर्ट पर फंसे जर्मन नागरिक की कहानी, पढ़ें पूरी खबर
By अमित कुमार | Published: May 12, 2020 04:17 PM2020-05-12T16:17:41+5:302020-05-12T16:17:41+5:30
भारत में कोरोना की वजह से लंबे समय से लॉकडाउन लागू है। इस दौरान लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया अभी मुश्किल दौर से गुजर रही है। भारत में भी कोरोना की वजह से लंबे समय से लॉकडाउन का पालन किया जा रहा है। इस बीच एक ऐसी कहानी चर्चा में है जिसे सुनकर शायद आप हैरान हो जाएंगे। दरअसल, पिछले 55 दिन से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे(आईजीआई) के ट्रांजिट क्षेत्र में एक जर्मन नागरिक फंस हुआ था।
इस नागरिक को मंगलवार (12 मई) को केएलएम फ्लाइट से वापस एम्सटर्डम भेजा गया। लेकिन इस घटना के बाद से लोगों के बीच हॉलीवुड फिल्म 'द टर्मिनल' सुर्खियों में आ गई है। दरअसल, 'द टर्मिनल' फिल्म की कहानी और इस जर्मन शख्स की कहानी में काफी कुछ समान है। 40 वर्षीय जर्मन नागरिक एडगार्ड जीबत 18 मार्च को ट्रांजिट पैसेंजर के रूप में हनोई से भारत आए थे और उन्हें यहां से इस्तांबुल के लिए निकलना था।
लेकिन 18 मार्च को एडगार्ड के भारत आते ही भारत ने तुर्की जाने वाली सभी उड़ानें बैन कर दी थीं। भारत ने यह फैसला कोरोना के बढ़ते खतरे को देख हुए लिया। इसके कुछ दिन बाद ही सभी अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट भी बंद कर दी गई। फ्लाइट नहीं मिल पाने के कारण एडगार्ड पिछले 55 दिन से दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर फंसा हुआ था। जिसे आज अपने देश वापस भेजा गया।
फिल्म द टर्मिनल से मिलती है कहानी
साल 2004 में रिलीज हुई फिल्म 'द टर्मिनल' इस घटना के बाद चर्चा में है। फिल्म की कहानी एक ऐसे शख्स के बार में थी जिसे मजबूरी में लंबे समय तक अमेरिका के एयरपोर्ट पर गुजारना पड़ता है। उसके देश छोड़ते ही कुछ ऐसा होता है कि वह वापस अपने देश नहीं जा पाता है और न ही उसे अमेरिका में एंट्री मिलती है। लिहाजा वह अपना सारा समय एयरपोर्ट पर ही बिताता है।