हॉकी के जादूगर ध्यानचंद का वह भाई, जिसने 1932 के ओलंपिक में तहलका मचा दिया था

By अभिषेक पाण्डेय | Published: September 8, 2018 10:10 AM2018-09-08T10:10:58+5:302018-09-08T10:10:58+5:30

Roop Singh: रूप सिंह महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के छोटे भाई थे, उन्होंने 1932 ओलंपिक में अपने खेल से तहलका मचा दिया था

Roop Singh birth anniversary: younger brother of Dhyan Chand, who played brilliantly in 1932 Olympics | हॉकी के जादूगर ध्यानचंद का वह भाई, जिसने 1932 के ओलंपिक में तहलका मचा दिया था

रूप सिंह हॉकी खिलाड़ी

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के बारे में तो आपने बहुत कुछ पढ़ा-सुना है। लेकिन आपको ये जानकार हैरानी होगी कि ध्यानचंद का एक भाई भी हॉकी के महान खिलाड़ियों में शुमार रहा है और उसने 1932 के ओलंपिक में अपने करिश्माई खेल से दुनिया को हैरान करते हुए भारत को गोल्ड मेडल जिताने में अहम भूमिका निभाई थी। ध्यानचंद के इस बेहतरीन हॉकी खिलाड़ी भाई का नाम रूप सिंह था। आइए जानें रूप सिंह के बारे में कुछ अनसुनी बातें।

ध्यानचंद के भाई रूप सिंह ने 1932 के ओलंपिक में तहलका मचा दिया था

रूप सिंह का जन्म 8 सितंबर 1908 को जबलपुर, मध्य प्रदेश में हुआ था। वह ध्यानचंद के छोटे भाई थे। रूप सिंह भारत की 1932 और 1936 ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाली टीम का हिस्सा था। रूप सिंह को खासतौर पर 1932 के लॉस एंजिलस ओलंपिक में उनके जादुई खेल के लिए याद किया जाता है। भारत ने इस ओलंपिक में दो मैच खेला और दोनों में ही धमाकेदार जीत दर्ज करते हुए गोल्ड पर कब्जा जमाया। 

भारत ने इस ओलंपिक में पहला मैच जापान के खिलाफ खेला जिसमें उसने 11-1 से जोरदार जीत दर्ज की। इस मैच में रूप सिंह और उनके बड़े भाई ध्यानचंद ने 3-3 गोल दागे। इसके बाद फाइनल में गोल्ड मेडल के मुकाबले के लिए भारत की भिड़ंत मेजबान अमेरिका से हुई और रूप सिंह और ध्यानचंद ने ऐसी हॉकी खेली जिसे हमेशा याद रखा जाएगा। 

भारत ने इस फाइनल मैच को 24-1 के विशाल अंतर से जीता और इस मैच में रूप सिंह ने अकेले ही 10 गोल दाग दिए जबकि उनके भाई ध्यानचंद ने 8 और गुरमीत सिंह ने 5 गोल दागते हुए अमेरिका को हॉकी टीम के इतिहास की सबसे करारी शिकस्त झेलने पर मजबूर कर दिया। रूप सिंह ने इसके बाद 1936 के बर्लिन ओलंपिक में भी भारत को गोल्ड मेडल जिताने में ध्यानचंद के साथ अहम योगदान दिया था।

रूप सिंह को इनसाइड लेफ्ट (बायीं पोजिशन) में सर्वश्रेष्ठ हॉकी खिलाड़ी माना जाता है। रूप सिंह पेनल्टी शॉट्स लगाने में भी माहिर थे। उनके शॉट इतने जोरदार थे कि एक बार ध्यानचंद ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा था कि सावधानी से खेला करो नहीं तो कोई चोटिल हो जाएगा। 

रूप सिंह के नाम पर रखा गया स्टेडियम का नाम

रूप सिंह का परिवार मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रहता था। उनके बेटे भगत सिंह भी भारत के लिए हॉकी खेले जबकि उनके पोते उदय सिंह भी उनके लिए भी हॉकी खेले। उनके पिता सूबेदार समेश्वर दत्त सिंह सेना में थे। रूप सिंह के सम्मान में ग्वालियर में स्टेडियम का नाम कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम रखा गया। 1988 से पहले ये पूरी तरह हॉकी स्टेडियम था, लेकिन अब कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम क्रिकेट स्टेडियम के तौर पर जाना जाता है। 1936 के बर्लिन ओलंपिक में उनके जोरदार खेल के बाद उनके सम्मान में म्युनिख की एक सड़क का नाम रूप सिंह के नाम पर रखा गया। 

ओलंपिक के फाइनल में 10 गोल दागने के अविश्वसनीय करिश्मे को शायद ही फिर कभी कोई दोहरा पाए! 

Web Title: Roop Singh birth anniversary: younger brother of Dhyan Chand, who played brilliantly in 1932 Olympics

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