हार्ट अटैक का सामना कर चुके मरीजों के लिए वरदान है योग, सिर्फ 10 बार योगासन करने से होता है जबरदस्त फायदा
By भाषा | Published: November 13, 2018 05:16 PM2018-11-13T17:16:01+5:302018-11-13T17:16:01+5:30
दिल का दौरा का सामना कर चुके मरीजों के लिए योग आधारित पुनर्वास कार्यक्रम पारंपरिक पुनर्वास थेरेपी जितना ही सुरक्षित है। यह बात एक नये अध्ययन में सामने आयी है।
दिल का दौरा का सामना कर चुके मरीजों के लिए योग आधारित पुनर्वास कार्यक्रम पारंपरिक पुनर्वास थेरेपी जितना ही सुरक्षित है। यह बात एक नये अध्ययन में सामने आयी है। पांच वर्षीय अध्ययन के परिणाम शिकागो में 'अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन साइंटीफिक सेशन' में पेश किए गए। इसे 'इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च' (आईसीएमआर) और मेडिकल रिसर्च काउंसिल (यूके) द्वारा वित्तपोषित किया गया था।
एम्स में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉक्टर अंबुज रॉय ने बताया कि अध्ययन में दिल का दौरा का सामना कर चुके मरीजों में क्लिनिकल परिणामों के संबंध में योग आधारित 'कार्डिएक रिहैबिलिटेशन' (योग केयर) की तुलना 'एंहांस्ड स्टैंडर्ड केयर' (ईएससी) से की गई।
अध्ययन में पता चला कि योग केयर में पारंपरिक कार्डिएक रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम का विकल्प होने और भारत और अन्य देशों में दिल का दौरा का सामना करने वाले मरीजों की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता है। अध्ययन भारत में 24 केंद्रों पर किया गया और इसमें करीब 4000 मरीजों को शामिल किया गया।
योग केयर प्रोग्राम के तहत रोगियों को मैडिटेशन, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और अन्य योगासन करने की सलाह दी गई।डॉक्टर रॉय ने कहा कि इस तरह की गतिविधि करने से उनके जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ और उनके रोजाना के काम में ऐसा सुधार हो गया जैसे दिल के दौरे से पहले हुआ करता था।
योग केयर प्रोग्राम के 10 से 13 सेशन करने के बाद मरीजों में मृत्यु के खतरे को कम करने और रोजाना के कामों में सुधार करने में मदद मिली. पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) के उपाध्यक्ष प्रोफेसर प्रभाकरन और अध्ययन के प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर ने कहा कि भारत में हृदय रोग का प्रसार 50 प्रतिशत से अधिक हो गया है और पूर्ण संख्या के मामले में 10 मिलियन से बढ़ोतरी हुई है।