विश्व किडनी दिवस: जीन को नियमित कर किडनी को बीमारी से मुक्त कर रही नीरी केएफटी : अध्ययन
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 5, 2023 06:32 PM2023-03-05T18:32:40+5:302023-03-05T18:33:04+5:30
विश्व किडनी दिवस पर बायोमेडिसन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक नीरी केएफटी का असर जानने के लिए जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एक्सीलेंस में यह शोध किया गया जिसे तीन अलग अलग तरीकों से किया गया। इन सभी के नतीजे बेहद सकारात्मक रहे हैं।
नई दिल्ली: मानव जीन पर हो रहे अनुसंधानों से बीमारियों के प्रभावी उपचार के नये रास्ते खुल रहे हैं। इसी तरह के एक शोध में पता चला है कि आयुर्वेद का एक फार्मूला नीरी केएफटी किडनी की बीमारियों के लिए जिम्मेदार छह जीन के व्यवहार को नियंत्रित करने की क्षमता रखता है। इससे किडनी की बीमारियों के बचाव और उपचार को नई दिशा मिल सकती है।
विश्व किडनी दिवस पर बायोमेडिसन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक नीरी केएफटी का असर जानने के लिए जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एक्सीलेंस में यह शोध किया गया जिसे तीन अलग अलग तरीकों से किया गया। इन सभी के नतीजे बेहद सकारात्मक रहे हैं। अध्ययन के लिए नेशनल सेंटर फार सेल साइंसेज (एनसीसीएस) से किडनी की कोशिकाएं एचईके 293 मंगाई गई।
शोधार्थियों ने बताया कि नीरी केएफटी का निर्माण एमिल फार्मास्युटिकल्स ने लंबे अनुसंधान के बाद किया है। यह पुनर्नवा, गोखरू, वरुण, कासनी, मकोय, पलाश तथा गिलोय समेत 19 जड़ी-बूटियों से बनी है। एमिल फार्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक डा. संचित शर्मा ने कहा कि यह शोध साबित करता है कि नीरी केएफटी किडनी उपचार के साथ-साथ उसे स्वस्थ बनाए रखने में भी प्रभावी है।
अध्ययन के अनुसार, नीरी केएफटी को किडनी की अनेक बीमारियों के लिए जिम्मेदार छह जीन सीएएसपी, आईएल, एजीटीआर-1, एकेटी, एसीई-2 तथा एसओडी-1 के व्यवहार को नियंत्रित करने में कारगर है। दरअसल, ये जीन किडनी की कार्यविधि के नियंत्रण के लिए जिम्मेदार हैं। जीन के व्यवहार से तात्पर्य किसी जीन में उपस्थित सूचना के प्रयोग से उत्पादन होना है। जो आमतौर पर प्रोटीन होते हैं।
ये प्रोटीन किसी न किसी रूप में किडनी की सेहत को बनाए रखने में कारगर होते हैं। इनके व्यवहार में कमी बीमारी का कारण बनती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि नीरी केएफटी जीन के व्यवहार को विनियमित करने वाले एक प्रमुख चयापचय यौगिक पॉलीफेनाल्स द्वारा जैविक क्रिया करती है जिससे जीन और पॉलीफेनाल्स के बीच परस्पर मजबूत प्रतिक्रिया होती है।
शोध के अनुसार, नीरी केएफटी गंभीर एवं पुराने किडनी रोग एवं उससे संबद्ध विकृतियों को नियमित करने के लिए एक मजबूत विकल्प है। इसके प्रभाव बहुआयामी हैं। जहां यह जीन के व्यवहार को विनियमित करती है, वहीं किडनी उपचार के दौरान कीमोथैरेपी में इस्तेमाल होने वाली दवा सिस्पलेटिन के किडनी पर होने वाले दुष्प्रभावों को भी घटाती है। तीसरा फायदा यह है कि यह ऑक्सीडेटिव और इंफ्लामेंट्री स्ट्रैस को भी कम करने में कारगर है जो किडनी में जारी संक्रमण के खिलाफ लड़ने के लिए जरूरी होता है।
ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस तब होता है जब शरीर में एंटी आक्सीडेंट और फ्री रेडिकल तत्वों का तालमेल बिगड़ जाता है। इससे शरीर की पैथोजन के खिलाफ लड़ने की क्षमता घटने लगती है। इसी प्रकार इंफ्लामेंट्ररी स्ट्रैस बढ़ने से भी शरीर का प्रतिरोधक तंत्र किसी भी बीमारी के खिलाफ नहीं लड़ पाता है।