WHO ने कहा- बच्चों के लिए 'गेम चेंजर' हो सकती है भारत में बन रही नेजल वैक्सीन, तीसरी लहर में मिलेगी मदद

By उस्मान | Published: May 23, 2021 10:36 AM2021-05-23T10:36:45+5:302021-05-23T10:36:45+5:30

भारत में बन रही है नेजल वैक्सीन, अगले साल आने की उम्मीद

WHO scientist Soumya Swaminathan says, Nasal vaccines, which are being made in India, could be game changers for children | WHO ने कहा- बच्चों के लिए 'गेम चेंजर' हो सकती है भारत में बन रही नेजल वैक्सीन, तीसरी लहर में मिलेगी मदद

WHO ने कहा- बच्चों के लिए 'गेम चेंजर' हो सकती है भारत में बन रही नेजल वैक्सीन, तीसरी लहर में मिलेगी मदद

Highlightsभारत में बन रही है नेजल वैक्सीन, अगले साल आने की उम्मीदकोरोना की तीसरी लहर में मिलेगी मददबच्चों के लिए इसका इस्तेमाल होगा आसान

विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि भारत में बन रही नेजल वैक्सीन बच्चों के लिए गेम चेंजर हो सकती है। बेशक यह अभी उपलब्ध नहीं है लेकिन कोरोना की तीसरी लहर के दौरान सहायक हो सकती है जिसमें बच्चों के अधिक प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।

न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्वामीनाथन ने कहा कि भारत में बनने जा रहे कुछ नाक के टीके बच्चों के लिए गेम चेंजर हो सकते हैं। इन्हें प्रशासित करना आसान होगा और यह श्वसन पथ में स्थानीय प्रतिरक्षा प्रदान करेगा। 

उन्होंने कहा कि जब तक नेजल वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक अधिक से अधिक वयस्कों, विशेषकर शिक्षकों को टीकाकरण की आवश्यकता है। ताकि जब  स्कूल फिर से खोले जाएं, तो सामुदायिक प्रसारण का जोखिम कम हो सके।

उन्होंने कहा की मुझे बहुत उम्मीद है कि आखिरकार हमारे पास बच्चों के लिए टीका होगा लेकिन इस साल ऐसा नहीं होगा। फिलहाल सामुदायिक प्रसारण कम होने पर ही स्कूल खोलने चाहिए। बाकी देशों ने अन्य सावधानियों के साथ यह किया है।

केंद्र ने शनिवार को कहा कि बच्चे संक्रमण से सुरक्षित नहीं हैं, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि प्रभाव न्यूनतम है। नीति आयोग (स्वास्थ्य) के सदस्य वीके पॉल ने कहा कि अगर बच्चे कोविड से प्रभावित होते हैं, तो उनमें या तो कोई लक्षण नहीं होंगे या कम से कम लक्षण होंगे। उन्हें आम तौर पर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है।

उन्होंने कहा कि बच्चों के बीच कोवि -19 के इलाज के लिए स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को बढ़ाया जाना चाहिए, लेकिन यह सबसे महत्वपूर्ण है कि उन्हें पहले स्थान पर ट्रांसमिशन चेन का हिस्सा न बनने दिया जाए।

पॉल ने कहा कि भारत और दुनिया के बाकी हिस्सों में अस्पताल में भर्ती होने में बच्चों की हिस्सेदारी लगभग 3-4 प्रतिशत है, 10 से 12 साल की उम्र के लोगों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने पहले ही 12 से 17 वर्ष की आयु के युवाओं के लिए फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन को आपातकालीन मंजूरी दी है। बताया जा रहा है कि आने वाले महीनों में बच्चों के लिए दो अन्य टीकों को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दिए जाने की संभावना है।

फार्मा कंपनी मॉडर्ना 12 से 17 वर्ष की आयु के 3,000 बच्चों में अपने टीके का परीक्षण कर रही है और हो सकता है कि सप्ताह के भीतर उस आयु वर्ग का परिणाम आ जाए। अप्रैल में जॉनसन एंड जॉनसन ने भी 12 से 17 साल के बच्चों का अध्ययन शुरू किया। 

Web Title: WHO scientist Soumya Swaminathan says, Nasal vaccines, which are being made in India, could be game changers for children

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