लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर LGBT लोगों को होता है सेक्स से जुड़ी इस बीमारी का अधिक खतरा
By उस्मान | Published: September 6, 2018 01:47 PM2018-09-06T13:47:39+5:302018-09-06T13:47:39+5:30
कोर्ट ने अप्राकृतिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे में रखने वाली धारा 377 के हिस्से को तर्कहीन, सरासर मनमाना और बचाव नहीं किये जाने वाला करार दिया.
भारत में दो वयस्कों के बीच समलैंगिक संबंध बनाना अब अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 158 साल पुरानी आईपीसी की धारा 377 के उस हिस्से को निरस्त कर दिया, जिसके तहत परस्पर सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध अपराध था। कोर्ट ने अप्राकृतिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे में रखने वाली धारा 377 के हिस्से को तर्कहीन, सरासर मनमाना और बचाव नहीं किये जाने वाला करार दिया।
एलजीबीटी का क्या मतलब होता है?
एलजीबीटी LGBT का मतलब लेस्बियन (lesbian), गे (gay), बाइसेक्सुअल (bisexual), ट्रांसजेंडर (transgender) होता है। समलैंगिक उसी तरह का जीवन बिताते हैं जैसा कि सामान्य लोग। यही वजह है कि उन्हें विषमलिंगियों के बीच पहचानना संभव नहीं होता है। चलिए एलजीबीटी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
1) लेस्बियन (lesbian)
समलैंगिक महिला को लेस्बियन कहा जाता है। लेस्बियन वो महिलाएं वो होती हैं, जो यौन और रूमानी तौर पर दूसरी महिलाओं के प्रति आकर्षित होती हैं। यानी ऐसी महिलाएं दूसरी महिलाओं से प्यार करने लगती हैं, यौन संबंध बनाना चाहती हैं और कई मामलों में उनसे शादी करके उनके साथ जीवन बिताना चाहती हैं।
2) गे (gay)
अंग्रेजी शब्द ‘गे’ का मूल अर्थ है ‘प्रसन्नता’। आधुनिक उपयोग में, प्रायः इस शब्द को समलैंगिकों के लिए उपयोग किया जाता है जबकि इन दोनों शब्दों के बीच बहुत अधिक अंतर है। जहां समलैंगिक का संबंध विशेष रूप से यौनिकता से होता है, वहीं शब्द ‘गे’ इनकी सामाजिक या राजनैतिक उपस्थिति दर्शाता है। जब कोई कहता है कि वो गे है तो उसका कहने का अर्थ होता है कि वो खुलासा कर रहा है कि वो अपने ही लिंग के प्रति आकर्षण महसूस करता है, इसका यह अर्थ नहीं है कि वो निश्चित रूप से अपने ही लिंग के व्यक्ति या इसी तरह के किसी व्यक्ति के साथ यौन संबंध रखता है।
3) बाइसेक्सुअल (bisexual)
बाइसेक्सुअल वो महिला और पुरुष हो सकते हैं जो दोनों प्रकार के लिंग वाले व्यक्तियों से संबंध रखते हैं। इसमें पुरुष और महिला दोनों ही के साथ शारीरिक, यौन और भावनात्मक आकर्षण और/या संबंध रखना शामिल है। इसमें द्विलिंगी व्यक्ति द्वारा जीवन में कभी भी, स्त्री या पुरुष या इनमें से किसी भी एक लिंग के प्रति दूसरे से अधिक या समान आकर्षण होना शामिल है।
3) ट्रांसजेंडर (transgender)
ट्रांसजेंडर शब्द से उन लोगों के व्यवहार की व्याख्या होती है जो अपने जन्म से निर्धारित लिंग के विपरीत लिंग की भूमिका में जीवन बिताते हैं, लेकिन जो लोग किसी भी तरह के चिकित्सीय विकल्प को नहीं अपनाते, या वो लोग जो ट्रांससेक्सुअल होने की अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहते वो स्वंय को दोनों लिंगों की बीच की कड़ी, या लिंग बदलाव के मध्य में मानते हैं।
क्या है धारा 377
आईपीसी (IPC) की धारा 377 के मुताबिक कोई किसी पुरुष, महिला या पशुओं से प्रकृति की व्यवस्था के खिलाफ संबंध बनाता है तो यह अपराध होगा। इस अपराध के लिए उसे उम्रकैद या 10 साल तक की कैद के साथ आर्थिक दंड का भागी होना पड़ेगा। सीधे शब्दों में कहें तो धारा-377 के मुताबिक अगर दो व्यस्क आपसी सहमति से भी समलैंगिक संबंध बनाते हैं तो वह अपराध होगा।
एलजीबीटी लोगों को हैं इन बड़ी समस्याओं से अधिक खतरा
एलजीबीटी समुदाय के रहन-सहन और स्वास्थ्य को लेकर कई बड़ी रिसर्च हो चुकी हैं। चलिए जानते हैं कि इस समुदाय को स्वास्थ्य से जुड़ी किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- एलजीबीटी युवाओं में आत्महत्या करने की संभावना 2 से 3 गुना अधिक है।
- एलजीबीटी युवाओं के बेघर होने की संभावना अधिक है।
- एलजीबीटी लोगों को कैंसर के लिए निवारक सेवाएं पाने की संभावना कम है।
- समलैंगिक पुरुषों को एचआईवी और अन्य एसटीडी का खतरा अधिक होता है।
- समलैंगिक और बाईसेक्सुअल महिलाओं को मोटापे का अधिक खतरा होता है।
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को एचआईवी / एसटीडी, मेंटल डिसऑर्डर का अधिक खतरा होता है।
- एलजीबीटी समदाये के बुजुर्ग इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। अलगाव और सामाजिक सेवाओं की कमी के कारण उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- एलजीबीटी युवाओं में तम्बाकू, शराब और ड्रग्स का इस्तेमाल करने के मामले भी अधिक पाए जाते हैं।