रंगबिरंगे फूलों वाला एलपिनिया, बुखार, मांसपेशियों में जकड़न, पेट की गैस और बैक्टीरिया का करे इलाज
By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Published: October 22, 2018 09:23 AM2018-10-22T09:23:53+5:302018-10-22T09:23:53+5:30
इसके पौधों में ज्यादा पानी नहीं देना चाहिए, लेकिन मिट्टी नम बनी रहनी चाहिए।
(मधु सिंह)
बेहद खूबसूरत पीले और हरे दो रंगों की पत्तियों वाला एलपिनिया एक ऐसा सदाबहार पौधा है, जिस पर खिले फूल अपने अद्भुत सौंदर्य और आकर्षक रंगों की बदौलत सभी का ध्यान अपनी और आकर्षित करते हैं। गार्डन में एक साथ कई गमलों में लगाकर गार्डन की शोभा को बढ़ाया जा सकता है।
अदरक परिवार से संबंधित जिंजीबिरेसी कुल की लगभग 200 किस्में पायी जाती है। इसे आम बोलचाल की भाषा में शैलजिंजर या शैल फ्लावर कहा जाता है। इस जिंजीबिरेसी कुल की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह पूरे साल फलता फूलता है। इस पौधे की ऊंचाई तीन फुट तक होती है। पत्तियों की लंबाई 20 से 25 इंच तक होती है।
इसकी अन्य किस्मों में पिंक पोर्सिलेन भी शामिल है। इसकी एक अन्य किस्म एलपिनिया केलकेरेट पर सफेद बैंगनी और गुलाबी रंग के फूल गुच्छों में आते हैं। एलपिनिया सेनडिरी में सफेद, रेशमी चिकने फूल की कलियां मनमोहक बनावट लिए होती हैं। यह अपनी रंगबिरंगी पत्तियों के कारण जाना जाता है।
मिट्टी
एलपिनिया के लिए ऐसे स्थान का चयन करें जहां धूप अच्छी आती हो। गमले में लगाने के लिए नमीयुक्त सड़ी गली गोबर और कंपोस्ट खाद को मिट्टी में मिलाने के बाद पौधे को लगाएं और इस पौधे को ज्यादा धूप में न रखें। लेकिन मिट्टी में हमेशा नमी बनी रहनी चाहिए।
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खाद
एलपिनिया की अच्छी बढ़वार के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल करें। लगाने के एक दो साल के बाद इसके पौधे फूल देने लगते हैं। कलियां निकलने के 10-15 दिन के बाद चटख लाल और सुनहरे पीले रंग की पंखुड़ियां लिए फूल निकलते हैं। इसके फूलों का पुष्प क्रम लंबे समय तक पौधों में बना रहता है। इसलिए इसे गुलदस्ते में सजाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।
सिंचाई
इसके पौधों में ज्यादा पानी नहीं देना चाहिए, लेकिन मिट्टी नम बनी रहनी चाहिए। इसमें किसी तरह के कीड़े या बीमारी लगने का खतरा कम होता है। फिर भी रसायन युक्त खाद का इस्तेमाल करना चाहिए।