अब लॉकडाउन पर नहीं, 'स्वीडन मॉडल' पर ध्यान देगा यह राज्य, जानिये वो 5 बातें जिस वजह से असरदार है यह मॉडल
By भाषा | Published: May 30, 2020 12:25 PM2020-05-30T12:25:29+5:302020-05-30T12:25:29+5:30
क्या लॉकडाउन में ढील देकर इस मॉडल पर काम करने से कोरोना को रोकने में मदद मिल सकती है ?
कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। देश में अब तक इस खतरनाक वायरस से 173,763 लोग प्रभावित हो चुके हैं और यह आंकड़ा बहुत तेजी से बढ़ रहा है। चीन से निकली इस महामारी से 4,980 लोगों की मौत हो गई है।
कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन को फेल होता देख पश्चिम बंगाल के एक जानेमाने चिकित्सक ने कहा है कि कोविड-19 की जांच बढ़ाने के साथ ऐसा लगता है कि राज्य सरकार वैश्विक महामारी पर नियंत्रण पाने के लिए धीरे-धीरे स्वीडन या ताईवान का मॉडल अपना रही है।
सरकारी एसएसकेएम अस्पताल के डॉक्टर दीप्तेंद्र सरकार ने कहा कि लगभग 70 दिन से देशभर में लॉकडाउन है और केंद्र तथा राज्य दोनों ही सरकारों ने इस महामारी से निपटने के लिए अपने संसाधन जुटा लिए हैं। अब समय आ गया है कि पाबंदियों में धीरे-धीरे ढील दी जाए।
उन्होंने कहा,‘‘मुझे गलता है कि वे दूसरे मॉडल को अपना रहे हैं। अभी तक वे पूरी ताकत से जिस मॉडल को अपना रहे थे वह लॉकडाउन का है।’’ चीन के वुहान में 72 दिन के लॉकडाउन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 60 से 70 दिन का लॉकडाउन संक्रमण के मामले कम करता है।
स्वीडन मॉडल क्या है और क्यों प्रभावी है?
सरकार ने कहा, ‘‘स्वीडन मॉडल में या ताईवान अथवा दक्षिण कोरिया में उन्होंने लॉकडाउन के बजाय जांच बढ़ाने और उच्च जोखिम वाली आबादी को अलग करने पर जोर दिया जिसमें उन्हें उतनी ही सफलता मिली।’’
उन्होंने कहा कि सरकार ने शुरुआत में जांच सुविधाएं नहीं होने की वजह से कड़ा लॉकडाउन लगाया था, लेकिन अब देशभर में प्रतिदिन करीब एक लाख नमूनों की जांच क्षमता के साथ सरकार लॉकडाउन मॉडल से स्वीडन या दक्षिण कोरिया अथवा ताईवान के मॉडल की ओर जा रही है।
मास्क पहनना अनिवार्य
डॉ सरकार ने कहा कि इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के एक अध्ययन के अनुसार अगर 60 प्रतिशत आबादी साधारण मास्क पहने तो संक्रमण को 90 प्रतिशत तक फैलने से रोका जा सकता है। एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स के सचिव डॉ मानस गुमटा ने इस बात पर तो सहमति जताई कि किसी समय तो लॉकडाउन हटाया जाना चाहिए, लेकिन राज्य में बंद में दी जा रही ढील के तरीके पर उन्होंने आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन हटाने का वैज्ञानिक आधार होना चाहिए। गुमटा ने चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन हटाये जाने की जरूरत बताते हुए कहा, ‘‘लॉकडाउन सामान्यतया स्वास्थ्य संबंधी ढांचे को तैयार करने के लिहाज से समय निकालने के लिए था ताकि महामारी से प्रभावी तरीके से निपटा जा सके।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से लॉकडाउन बिना किसी तैयारी के हटाया जा रहा है, इसके परिणाम भयावह हो सकते हैं।’’
गुमटा ने कहा कि सरकार को राजस्व की जरूरत है और लोगों को भी आजीविका चाहिए और इसलिए लॉकडाउन धीरे-धीरे हटाना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस समय धार्मिक स्थलों को खोलने का क्या उद्देश्य है, जहां लोग बड़ी संख्या में जमा हो सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि घर से काम करने का चलन अनेक सेक्टरों में सामान्य होता जा रहा है और इसलिए सभी क्षेत्रों में समस्त कर्मचारियों को काम पर बुलाने की जरूरत नहीं है। गुमटा ने कहा कि सरकार को दफ्तरों में पाली व्यवस्था शुरू करने पर भी विचार करना चाहिए ताकि कार्यस्थलों और सार्वजनिक परिवहन के साधनों में एक समय पर कम लोग रहें।