5जी के इस्तेमाल से होता है कैंसर? जानें इस दावे को लेकर क्या कहते है जानकार
By आजाद खान | Published: November 11, 2022 06:59 PM2022-11-11T18:59:37+5:302022-11-11T19:04:08+5:30
लोगों में यह आम है कि सेल फोन से निकलने वाले रेडिएशन से ब्रेन ट्यूमर हो सकता है। इस दावे को जानकारों ने खारिज किया है और इस पर तर्क भी दिया है।
5G Network Increase Cancer Risk: देश भर में 5जी नेटवर्क के शुरुआत होने का एलान हो गया है। ऐसे में कई शहरों में 5जी नेटवर्क की सेव शुरू भी हो गई है। लेकिन जैसे-जैसे 5जी नेटवर्क की सेवा बढ़ रही है, यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या 5जी से कैंसर होता है।
कहा जाता है कि मोबाइल फोन के टावर से जो रेडियो फ्रीक्वेंसी निकलती है, उससे ब्रेन कैंसर होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में यह सवाल काफी पुराना है और इसे लेकर काफी मतभेद भी रहता है। इसी मतभेद को दूर करने के लिए डब्ल्यूएचओ ने एक पैनल का गठन किया था। काफी पड़ताल के बाद इस पैनल ने खुलासा भी किया है।
डब्ल्यूएचओ ने क्या कहा है
इलेक्ट्रिक एंड मैग्नेटिक फील्ड को लेकर डब्ल्यूएचओ ने 1996 में एक पैनल का गठन किया था जिसमें यह जांच की गई थी क्या सच में रेडियो फ्रीक्वेंसी के कारण कैंसर होता है। रिसर्च में इस बात का कोई सबूत नहीं मिला था।
ऐसे में कई और रिसर्च भी किए गए थे और पता लगाया गया था कि क्या सच में रेडियो फ्रीक्वेंसी के कारण कैंसर होता है। इस कड़ी में 2016 में इंडियन जर्नल ऑफ ऑक्यूपेशनल एंड एनवायरनमेंटल मेडिसीन में प्रकाशित एक अध्ययन में इसे लेकर खुलासा भी हुआ था। अध्ययन में कहा गया था इस बात में सच्चाई नहीं है कि मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी के कारण कैंसर होता है।
दावा पूरी तरह नहीं है सही
केवल ब्रिटेन के एक अध्ययन को छोड़कर कि सेल फोन के रेडिएशन से ब्रेन ट्यूमर हो सकता है, किसी और अध्ययन या स्टडी में इस बात के सबूत नहीं मिले है। मुद्दे पर बोलते हुए डॉ डेलनाज दाभर ने कहा कि ऐसा कहना कि मोबाइल फोन से कैंसर हो सकता है, यह ठीक नहीं है।
उनके अनुसार, 5जी नेटवर्क के कारण कैंसर होता है, इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है। ऐसे में कैंसर इसके ही कारण होता है, यह कहना बिल्कुल सही नहीं है। डॉ डेलनाज दाभर ने बताया कि कैंसर होने के पीछे जीवनशैली, बुरी लत, सूरज की रोशनी और कई अन्य वायरल संक्रमण भी कारण हो सकते है।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Lokmat Hindi News इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले या इसके बारे में अधिक जानकारी लेने के लिए डॉक्टरों से जरूर संपर्क करें।)