दिवाली पर मिलावटी मिठाइयों से बचें, जानिए क्या कह रहे हैं डॉक्टर्स
By भाषा | Published: October 20, 2019 01:07 PM2019-10-20T13:07:04+5:302019-10-20T13:07:04+5:30
त्यौहारों के मौसम में चिकित्सा विशेषज्ञों ने लोगों को मिलावटी मिठाइयों से परहेज करने की सलाह दी है। श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट में सीनियर कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन डॉ अरविन्द अग्रवाल कहते हैं कि अब तो नकली दूध, नकली मावा, नकली देसी घी और यहां तक कि नकली फलाहार भी बाजारों में धड़ल्ले से बिक रहा है और अगर सावधानी न बरती जाए तो इनके सेवन से तबीयत खराब होने से लेकर जान जाने तक का खतरा है।
उन्होंने बताया कि सेहत के नज़रिए से खोया के सेवन में कोई बुराई नहीं है, लेकिन अगर यह दूध से बना होने के स्थान पर सिंथेटिक अर्थात नकली हो तो इसका इस्तेमाल करके बनाई जाने वाली मिठाई का सेवन शरीर के महत्त्वपूर्ण अंगों जैसे ह्रदय, किडनी, लिवर आदि को नुकसान पहुंचा सकता है। डा. अग्रवाल ने बताया कि त्यौहारों में दूध की मांग बहुत बढ़ जाती है और पूरा करने के लिए शैम्पू, डिटर्जेंट, यूरिया और अन्य घातक रसायन के मिश्रण से नकली दूध तैयार किया जाता है।
ये खतरनाक रसायन खासकर यूरिया सीधे किडनी संबंधी रोगों को जन्म देता है और इसके लगातार सेवन से इसका असर लिवर पर भी होता है। उन्होंने बताया कि जानवरों की चर्बी और रसायनों की मदद से कृत्रिम तरीके से बनाये जाने वाले नकली देसी घी से पेट में इंफेक्शन हो सकता है और यह दिल की सेहत के लिए भी ठीक नहीं है।
गुरूग्राम के कोलंबिया एशिया अस्पताल में पोषण और आहार विशेषज्ञ डा. शालिनी ब्लिस का कहना है कि त्यौहारों में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पुराने और खराब ड्राई फ्रूट्स को खूबसूरत पैकिंग में सजाकर आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा सकता है। इस तरह के मेवे फूड पायजनिंग का कारण बनते हैं।
धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशेलिटी अस्पताल के डॉक्टर महेश गुप्ता, कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट बताते है कि एफएसएसएआई यानी फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैण्डर्डज़ अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया विभिन्न खाद्य पदार्थों को एक सामान्य व्यक्ति के खाने योग्य बताने वाला मानक है। ऐसे में कोई भी खाने की चीज़ लेते समय ध्यान दें कि वह एफएसएसएआई द्वारा मान्यता प्राप्त हो।