Amyotrophic Lateral Sclerosis से पीड़ित थे स्टीफन हॉकिंग, जानिए क्या है यह खतरनाक बीमारी
By उस्मान | Published: March 14, 2018 01:31 PM2018-03-14T13:31:45+5:302018-03-14T13:37:06+5:30
जानिए यह बीमारी क्या है और इसके कारण व लक्षण क्या-क्या हैं।
दुनिया के मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का निधन हो गया है। हॉकिंग ने 76 की उम्र में अंतिम सांस ली। महज 21 साल की उम्र में हॉकिंग को एक भयानक बीमारी एएलएस (एम्योट्रॉपिक लेटरल स्क्लेरोसिस) ने घेर लिया था। इस बीमारी को मोटर न्यूरॉन के नाम से भी जाना जाता है जोकि एक लाइलाज बीमारी है। ऐसा माना जाता है कि यह बीमारी पांच साल में जान ले लेती है। बीमारी सामने आने के बाद डॉक्टरों ने भी कहा था कि हॉकिंग सिर्फ सर्फ दो साल ही जी सकेंगे। हम आपको बता रहे हैं कि यह बीमारी क्या होती है और किसी व्यक्ति को कैसे प्रभावित करती है।
एमियोट्रोफिक लेटरल सेरोसिस क्या है?
मायो क्लीनिक के अनुसार, एमियोट्रोफिक लेटरल सेरोसिस अथवा एएलएस को लाऊ गेहरिग के नाम से भी जाना जाता है। एएलएस एक ऐसी बीमारी है जो मस्तिष्क की कुछ खास कोशिकाओं पर हमला करती है। इसके साथ ही इस बीमारी का आघात रीढ़ की हड्डी पर भी होता है। इससे मांसपेशियों की मूवमेंट पर असर पड़ता है।
एमियोट्रोफिक लेटरल सेरोसिस के लक्षण
इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को मांसपेशियों में अकड़न और झटके महसूस होते हैं। वह हाथों, टांगों, पैरों और टखनों में कमजोरी महसूस करता है। इसके अलावा पीड़ित व्यक्ति के लिए बोलने और यहां तक कि निगलने में भी परेशानी होती है। लेकिन, उसकी सुनने, सूंघने, स्वाद और स्पर्श जैसी संवेदी इंद्रियां काम करती रहती हैं। एएलएस से पीडि़त व्यक्ति को शुरुआती रूप से बाजुओं, टांगों, बोलने में, निगलने में या सांस लेने में परेशानी हो सकती है। आपकी मांसपेशियां इसलिए काम करना बंद कर देती हैं, क्योंकि उन्हें मस्तिष्क के मोटर न्यूरॉन्स से संकेत मिलने बंद हो जाते हैं।
एमियोट्रोफिक लेटरल सेरोसिस के कारण
एएलएस में आपके मूवमेंट को नियंत्रित करने वाली नर्व कोशिकायें धीरे-धीरे मरने लगती हैं। तो आपकी मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और धीरे-धीरे बेकार हो जाती हैं। मायो क्लीनिक के अनुसार, पांच से दस फीसदी मामलों में एएलएस अनुवांशिक होता है। बाकी अन्य मामलों में यह किसी को भी हो सकता है।
Archival visuals of #StephenHawking. He passed away today at the age of 76 years. pic.twitter.com/KxqxEpxxse
— ANI (@ANI) March 14, 2018
परिजनों ने बुधवार को उनकी मृत्यु की पुष्टि की है। हॉकिंग के बच्चों लूसी, रॉबर्ट और टिम ने अपने बयान में कहा, 'हम अपने पिता के जाने से बेहद दुखी हैं।'
बयान के मुताबिक, 'वह एक महान वैज्ञानिक और अद्भुत व्यक्ति थे जिनके कार्य और विरासत आने वाले लंबे समय तक जीवित रहेंगे। उनकी बुद्धिमतता और हास्य के साथ उनके साहस और दृढ़- प्रतिज्ञा ने पूरी दुनिया में लोगों को प्रेरित किया है। उन्होंने एक बार कहा था, अगर आपके प्रियजन ना हों तो ब्रह्मांड वैसा नहीं रहेगा जैसा है। हम उन्हें हमेशा याद करेंगे।'
हॉकिंग 1963 में मोटर न्यूरॉन बीमारी के शिकार हुए और डॉक्टरों ने कहा कि उनके जीवन के सिर्फ दो साल बचे हैं। लेकिन वह पढ़ने के लिए कैम्ब्रिज चले गये और एल्बर्ट आइंस्टिन के बाद दुनिया के सबसे महान सैद्धांतिक भौतिकीविद बने।
हैरान कर देने वाली बात यह है कि स्टीफन हॉकिंग का मस्तिष्क छोड़कर पूरा शरीर लकवाग्रस्त था। भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग ने 'ए ब्रीफ हिस्टरी ऑफ टाइम' नाम की किताब लिखी है। इस किताब में उन्होंने ब्रम्हाण्ड के कई रहस्यों से पर्दा उठाया है। इसी किताब पर 2014 में 'थियरी ऑफ इवरीथिंग' फिल्म बनी थी जिसे ऑस्कर मिला था।