बच्चों में डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कमजोर याददाश्त, भूख में कमी का बड़ा कारण है ये मोबाइल गेम
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 10, 2019 05:45 PM2019-01-10T17:45:47+5:302019-01-10T17:45:47+5:30
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस में 120 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें बच्चों के मेंटल हेल्थ पर गेम का विपरीत प्रभाव देखा गया।
देश में युवाओं के बीच पबजी (प्लेयर अन्नोन बैटल ग्राउंड) को लेकर जबर्दस्त क्रेज है, लेकिन इस गेम का बच्चों और युवाओं के मानसिक और शारीरिक विकास पर नेगेटिव असर पड़ रहा है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस में 120 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें बच्चों के मेंटल हेल्थ पर गेम का विपरीत प्रभाव देखा गया।
डॉक्टरों ने इसे चिंताजनक बताया है। डॉक्टरों के अनुसार, शुरुआत में बच्चों में दिमागी असंतुलन के सिर्फ 3-4 मामले सामने आए थे। मगर, समय के साथ मामले बढ़ने लगे। अब हर महीने 40 से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। पबजी गेम में 100 प्लेयर्स एयरप्लेन से आइलैंड पर उतरते हैं। यहां पहुंचने पर उन्हें वहां मौजूद अलग-अलग घर व स्थानों पर जाकर आर्म्स, दवाइयां और कॉम्बेट के लिए जरूरी चीजें कलेक्ट करना होता है।
प्लेयर्स को बाइक, कार और बोट मिलती है, ताकि वह हर जगह जा सकें और दूसरे अपोनन्ट को गेम में मारकर आगे बढ़ सकें। 100 लोगों में आखिर तक जिंदा रहने वाला प्लेयर विनर बनता है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस में आए मामलों में देखने में आया, बच्चों में नींद की परेशानी, असल जिंदगी से दूरी, कॉलेज व स्कूल से अनुपस्थित होने, ग्रेड्स गिरने और गेम छोड़ने पर गुस्सा बढ़ने जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं।
बच्चे गेम में इंटरनेशनल प्लेयर्स के साथ खेलने के लिए रात के 3-4 बजे तक जागते हैं, जिससे उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याएं शुरू हो गई हैं। गेम की लत के खतरे रात तक जागने से स्लीपिंग पैटर्न बदल रहा है। इससे ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का खतरा बढ़ रहा है। नींद नहीं होने से मस्तिष्क को नुकसान पहुंच रहा है, जिससे याददाश्त की कमजोरी, एकाग्रता की कमी, पढ़ाई में बाधा, बौद्धिक विकास में बाधा जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
गेम में हथियारों के प्रयोग और जीतने की जंग के कारण में आक्रामकता बढ़ रही है। बच्चों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन और असंवेदनशीलता कई बार खाने-पीने और सोने की आदतों में बदलाव के कारण शारीरिक विकास भी प्रभावित हो रहा है।