अफीम प्रसंस्करणः निजी कंपनियों के लिए केंद्र सरकार ने दरवाजा खोला, बजाज हेल्थकेयर को इजाजत, जानें पूरा मामला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 14, 2022 08:19 PM2022-07-14T20:19:06+5:302022-07-14T20:22:32+5:30
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में दो सरकारी कारखानों में हर साल करीब 800 टन अफीम से अल्कलॉयड निकाला जा रहा है. बजाज हेल्थकेयर को भी हर साल 500 टन अल्कलॉयड अफीम से निकालने का ठेका मिला है.
नई दिल्लीः केंद्र की मोदी सरकार ने निजी कंपनियों के लिए अफीम प्रसंस्करण का रास्ता खोल दिया है. केंद्र सरकार ने पहली बार बजाज हेल्थकेयर को इसकी इजाजत दी है. अब बजाज हेल्थकेयर अफीम प्रसंस्करण कर सकेगा. अफीम प्रसंस्करण के बाद निकलने वाले अल्कलॉयड का इस्तेमाल खांसी के सीरप, पेनकिलर के अलावा कैंसर की दवाएं बनाने तक में किया जाता है.
फिलहाल उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में दो सरकारी कारखानों में हर साल करीब 800 टन अफीम से अल्कलॉयड निकाला जा रहा है. इन दोनों कारखानों के अलावा अब बजाज हेल्थकेयर को भी हर साल 500 टन अल्कलॉयड अफीम से निकालने का ठेका मिला है.
खबरों के मुताबिक केंद्र सरकार ने बजाज हेल्थकेयर को अगले 5 साल में अपनी क्षमता 500 से बढ़ाकर 800 टन करने के लिए भी कहा है. इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि सरकार अफीम प्रसंस्करण के काम से धीरे-धीरे अपने हाथ पीछे करना चाहती है.
यह कांन्ट्रैक्ट हासिल करने के बाद बजाज हेल्थकेयर ने कहा कि ‘हमें अफीम से अल्कालॉयड और अन्य सक्रिय दवा सामग्री सरकार को मुहैया करवाने के दो ठेके मिले हैं. ये कांन्ट्रैक्ट लंबे समय के लिए हैं, हमें अगले 5 साल में करीब 6,000 टन अफीम प्रसंस्करण की उम्मीद है.’
कंपनी के संयुक्त प्रबंध निदेशक अनिल जैन ने अंग्रेजी के अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि सरकार ने अफीम से अल्कलॉयड का निकालने का काम हमें सौंपा है. हम अफीम से अल्कलॉयड प्रोसेस कर सरकार को देंगे. जिसके बाद यह अल्कलॉयड दवा कंपनियों को दी जा सकेगी.
बजाज हेल्थकेयर ने इस काम के लिए गुजरात के सावली में 34 एकड़ में फैले अपने कारखाने में बदलाव किए है. बजाज हेल्थकेयर के मुताबिक मौजूदा कारखाने में 250 टन सालाना अफीम का प्रसंस्करण करने की क्षमता है जिसे आने वाले समय में और बढ़ाया जाएगा.
करीब 20 से 25 कंपनियों ने इस काम में रुचि दिखाई थी, लेकिन आखिर में यह काम बजाज हेल्थकेयर के हाथ लगा. बजाज हेल्थकेयर के संयुक्त प्रबंध निदेशक अनिल जैन के मुताबिक इस कारोबार में भरपूर मार्जिन है… जैन कहते कि अफीम सरकार उपलब्ध करवाती है इसलिए कच्चे माल पर कुछ खर्च ही नहीं करना पड़ता.
खबरों के मुताबिक भारत में अफीम प्रसंस्करण का काम निजी कंपनियों को देने की कोशिश इसीलिए भी की जा रही है क्योंकि सरकारी कारखाने बढ़ती मांग पूरी नहीं कर पा रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि सरकार ने 2011-12 में भी निजी कंपनियों खासकर फार्मा कंपनियों को अफीम की खेती में लगाने की कोशिश की थी लेकिन उस वक्त किसी ने इस काम में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी.
भारत में अफीम की कानूनी तौर पर खेती करने वाले चुनिंदा देशों में शुमार है और अफीम का प्रसंस्कण करने वाला इकलौता देश है. वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले राजस्व विभाग की वेबसाइट के मुताबिक ग्वालियर स्थित केंद्रीय narcotics ब्यूरो यानि CBN किसानों को अफीम की खेती का लाइसेंस देता है, फसल पर नजर रखता है और नियंत्रण भी करता है.
लाइसेंस वाले किसानों से उपज भी वहीं खरीदता है' जिसके बाग इकट्ठी की गई अफीम यूपी में गाजीपुर और मध्य प्रदेश के नीमच कारखानों में सरकार के सुपुर्द कर दी जाती है… अफीम का कुछ हिस्सा सुखाकर निर्यात कर दिया जाता है और कुछ हिस्सा सरकारी कारखानों में अल्कलॉयड निकालने के काम आता है. ये अल्कलॉयड दवा बनाने के काम आ जाते हैं, जहां इनसे मॉर्फीन, कोडीन, थेबैन और अन्य अल्कलॉयड निकालकर दवा कंपनियों को बेच दिए जाता हैं.