डायबिटीज, ब्लड शुगर कंट्रोल करने के साथ तेजी से वजन कम करेगा व्रत का ये खास नियम
By उस्मान | Published: October 10, 2018 05:16 PM2018-10-10T17:16:00+5:302018-10-10T17:16:00+5:30
टाइप 2 डायबिटीज में यूं तो जीवनशैली में बदलाव करने से फायदा मिलता है लेकिन ऐसा करके हमेशा ही ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रख पाना संभव नहीं है।
नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है। इन दिनों नौ दिन व्रत करके नवदुर्गा को खुश किया जाता है। जाहिर है डॉक्टर और एक्सपर्ट स्वस्थ लोगों को ही उपवास की सलाह देते हैं। खासकर अगर आप डायबिटीज और मोटापे का शिकार हैं, तो आपको ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है। डायबिटीज और मोटापे से जैसी गंभीर समस्या से पीड़ितों के लिए एक काम की खबर आई है। जाहिर है इन दोनों समस्या से बचने के लिए डाइट का खास ध्यान रखा जाता है। एक नई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि एक खास नियम के तहत उपवास रखने से आपको इन डायबिटीज और मोटापे को कंट्रोल रखें में मदद मिल सकती है।
क्या कहती है रिसर्च
समय-समय पर योजनाबद्ध तरीके से उपवास रखने से टाइप 2 प्रकार के डायबिटीज रोग में मरीज को फायदा पहुंच सकता है। ऐसा करने से चिकित्सक तीन मरीजों में इंसुलिन की जरूरत को कम करने में सफल रहे हैं। टाइप 2 डायबिटीज में यूं तो जीवनशैली में बदलाव करने से फायदा मिलता है लेकिन ऐसा करके हमेशा ही ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रख पाना संभव नहीं है।
ऐसे हुई रिसर्च
कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय और स्कारबोरो अस्पताल के चिकित्सकों के मुताबिक 40 से 67 वर्ष के आयुवर्ग के तीन व्यक्तियों ने योजनाबद्ध तरीके से उपवास रखा। ये मरीज रोग पर नियंत्रण के लिए कई दवाइयां ले रहे थे और इंसुलिन भी नियमित रूप से ले रहे थे। टाइप 2 मधुमेह के अलावा वह उच्च रक्तचाप तथा उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या से भी ग्रसित थे।
यह निकला नतीजा
इनमें से दो लोगों ने हर एक दिन के बाद पूरे 24 घंटे का उपवास रखा जबकि तीसरे ने हफ्ते में तीन दिन तक उपवास रखा। इस दौरान उन्होंने बहुत ही कम कैलोरी वाला पेय या खाद्य पदार्थ इस्तेमाल किया। लगभग दस महीने तक उन्होंने यह जारी रखा। इसके बाद उनकी रक्त शर्करा, वजन आदि की फिर से जांच की गई।
उपवास शुरू करने के महीनेभर के भीतर ही तीनों की इंसुलिन की जरूरत कम हो गई। दो व्यक्तियों ने मधुमेह संबंधी अन्य दवाएं लेना भी बंद कर दिया जबकि तीसरे ने चार में से तीन दवाइयां लेना बंद कर दिया। तीनों का दस से 18 फीसदी तक वजन कम हो गया। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि महज तीन मामलों पर आधारित इस शोध से कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है।