कमजोरी का आयुर्वेदिक इलाज : कमजोरी, पीलिया, मलेरिया जैसे 10 रोगों का उपचार कर सकती है ये आयुर्वेदिक जड़ी बूटी
By उस्मान | Published: July 30, 2021 11:36 AM2021-07-30T11:36:59+5:302021-07-30T11:36:59+5:30
कमजोर इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर मौसमी रोगों से लड़ने के लिए करें इसका सेवन
आयुर्वेदिक में कई पेड़-पौधों का विभिन्न रोगों में उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी ही एक गुणकारी जड़ी बूटी मुलेठी भी है जिसका कई रोगों के इलाज के लिए सालों से इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसके चिकित्सीय गुणों के कारण इसका कई दवाओं में भी प्रयोग किया जाता है।
स्वाद में मीठी मुलेठी का उपयोग आयुर्वेद के साथ-साथ चीनी दवाओं में भी प्राचीन काल से होता आ रहा है। इसके अलावा इसका मिठाई, चबाने वाली गम, टूथपेस्ट, शीतल पेय और बीयर जैसे पेय पदार्थों में व्यापक रूप से एक स्वादिष्ट एजेंट के रूप में उपयोग किया जाता है।
मुलेठी के पोषक तत्व
कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीबायोटिक, प्रोटीन, फैट, विटामिन बी, विटामिन ई, फॉस्फोरस, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, सेलेनियम, सिलिकॉन जैसे जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर मुलेठी का खांसी सहित कई रोगों के इलाज में किया जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार मुलेठी में खांसी, जुकाम, उल्टी, पित्त को बंद करने के साथ-साथ पेट की जलन, दर्द, पेप्टिक अल्सर तथा इससे होने वाली खून की उल्टी को रोकने की भी क्षमता होती है।
सर्दी-जुकाम
मुलेठी से सर्दी खांसी जुखाम की समस्या के साथ ही छाती में कफ की समस्या भी खत्म कर देती है। मुलेठी के चबाने से ही गले की खराश, गला बैठना जैसी समस्याएं समस्या समाप्त हो सकती हैं और यह आपकी आवाज को भी मधुर भी बनाता है।
सीने की जलन में आराम
अगर आपके गले में जलन या सूजन है तो मुलेठी को मुंह में रखकर चुसिए ऐसा करने से गले की जलन और सूजन में आराम मिलेगा और आपके पेट में एसिड के स्तर को भी नियंत्रित करती है। अगर आपके सीने में जलन हैं और खाना भी सही तरीके से नहीं पच रहा है तो मुलेठी को मुंह में रखकर चूसना होगा इससे आपको सीने की जलन और खाना ना पचने की समस्या में राहत मिलेगी।
छाती में जमे बलगम को करता है बाहर
अगर आपको खांसी या छाती में सूखा बलगम रहता है, तो आपका मुलेठी का सेवन करना चाहिए। जब गले से बलगम नहीं निकलता है, तो रोगी खांसता ही रहता है। इसके लिए 2 कप पानी में 5 ग्राम मुलेठी का चूर्ण उबालकर पियें।
कमजोरी होती है दूर
रोजाना मुलेठी चूसने से शारीरिक कमजोरी नष्ट हो जाती है। 10 ग्राम मुलहठी का पिसा हुआ चूर्ण, घी और शहद में मिलाकर चाटने से और ऊपर से मिश्री मिले गर्म-गर्म दूध को पीने से कमजोरी के रोग कुछ ही समय में कम हो जाता है।
पेशाब के रोगों से मिलती है राहत
यूटीआई की समस्याएं जैसे- पेशाब में जलन, पेशाब रुक-रुककर आना, अधिक आना, घाव और खुजली और पेशाब संबंधी समस्त बीमारियों में मुलहठी का प्रयोग लाभदायक है। इसे खाना खाने के बाद रोजाना 4 बार हर 2 घंटे के उंतराल पर चूसते रहना लाभकारी होता है।
गंजापन
गंजेपन और डैंड्रफ से बचने के लिए मुलेठी का पाउडर, दूध और थोड़ी-सी केसर, इन तीनों का पेस्ट बनाकर नियमित रूप से बाल आने तक सिर पर लगायें। इससे बालों का झड़ना और बालों की रूसी आदि में लाभ मिलता है। मुलेठी और तिल को भैंस के दूध में पीसकर सिर पर लेप करने से बालों का झड़ना बंद हो जाता है।
पीलिया
पीलिया रोग में 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर या इसका काढ़ा पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है। 2 से 5 ग्राम मुलहठी का चूर्ण पानी और मिश्री के साथ सेवन करने से पेट मे गैस कम हो जाती।
मलेरिया का बुखार
डेंगू का सीजन जारी है और इस मौसम में मलेरिया बुखार एक बड़ी समस्या बना हुआ है। इससे राहत पाने के लिए 10 ग्राम मुलेठी छिली हुई, 5 ग्राम अजवाइन तथा थोड़ा-सा सेंधा नमक को मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है।
मुंह के छाले
इसके चूर्ण को फूले हुए कत्था के साथ मिलाकर छाले पर लगाएं और लार बाहर टपकने दें। इससे मुंह की गन्दगी खत्म होकर मुंह के छाले दूर होते हैं। या मुलहठी का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से मुंह के छाले सूख जाते हैं।
पेट और आंतों के घाव
पेट और आंतों के घाव में मुलेठी की जड़ का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में 1 कप दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करें। इसे लगातार करते रहने से अल्सर कुछ ही हफ्तों में भर जायेंगें। इस प्रयोग के समय मिर्च मसालों नहीं खाना चाहिए।
इस बात का रखें ध्यान
अगर आप ऊपर बताई समस्याओं से पीड़ित हैं, तो आपको वैकल्पिक तौर पर ही मुलेठी का इस्तेमाल करना चाहिए। मेडिकल इलाज नहीं कराने और सिर्फ इसके भरोसे रहने से आपको नुकसान हो सकता है। इसलिए एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही इसका उपयोग करें।