63 प्रतिशत महिलाएं के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा बड़ी प्राथमिकताएं, ऊंचे वेतन से समझौता करने को तैयार, जानें सर्वेक्षण रिपोर्ट
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 7, 2023 06:05 PM2023-03-07T18:05:47+5:302023-03-07T18:06:35+5:30
सर्वेक्षण सितंबर, 2022 से जनवरी, 2023 के बीच 4,179 लोगों पर किया गया। वेतन से कहीं अधिक प्राथमिकता रोजगार सुरक्षा, प्रशिक्षण और करियर विकास को देती हैं।
नई दिल्लीः देश के असंगठित क्षेत्र के कार्यबल में शामिल बड़ी संख्या में महिलाओं का कहना है कि यदि उन्हें स्वास्थ्य लाभ दिया जाता है तो वे इसके एवज में ऊंचे वेतन से समझौता करने को तैयार हैं। इन महिलाओं की विचारधारा में यह महत्वपूर्ण बदलाव एक सर्वेक्षण में सामने आया है।
व्यवसाय सेवा प्रदाता क्वेस कॉर्प के इस सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत की असंगठित अर्थव्यवस्था से जुड़ी महिलाओं में से 63 प्रतिशत स्वास्थ्य सुरक्षा लाभों के बदले में कम वेतन पर काम करने को राजी हैं जबकि ऐसी सोच रखने वाले पुरुषों की संख्या महज 28 प्रतिशत है। यह सर्वेक्षण सितंबर, 2022 से जनवरी, 2023 के बीच 4,179 लोगों पर किया गया।
इसके आधार पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसी महिला कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है जो वेतन से कहीं अधिक प्राथमिकता रोजगार सुरक्षा, प्रशिक्षण और करियर विकास को देती हैं। क्वेस कॉर्प लिमिटेड में कार्यबल प्रबंधन के अध्यक्ष लोहित भाटिया ने कहा, ‘‘भारत की असंगठित, संगठित अर्थव्यवस्था में महिलाओं के योगदान एवं महत्व को हमें स्वीकार करना होगा, यह भी ध्यान में रखना होगा कि उनकी जरूरतें अब बढ़ गई हैं।’’
इसमें कहा गया, ‘‘अब केवल वेतन को ध्यान में रखने के बजाय भारतीय कॉरपोरेट जगत को महिलाओं की रोजगारोन्मुख बनाने को प्रशिक्षण एवं कौशल विकास में निवेश करना चाहिए, उन्हें रोजगार के अवसर खोजने में मदद करनी चाहिए और सामाजिक सुरक्षा लाभों की पेशकश भी करनी चाहिए।’’
इसमें 38 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने रोजगार सुरक्षा के महत्व को भी रेखांकित किया है। इसमें यह भी साफ पता चलता है कि महिलाओं के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा बड़ी प्राथमिकताएं बन रही हैं और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिला कर्मचारियों में से 16 प्रतिशत मानती हैं कि संगठित रोजगार के अहम लाभ स्वास्थ्य और सुरक्षा हैं।