AIIMS में योग से हो रहा काला मोतियाबिंद, डिप्रेशन, गठिया और बांझपन का इलाज
By एसके गुप्ता | Published: June 20, 2019 07:46 AM2019-06-20T07:46:17+5:302019-06-20T07:46:17+5:30
एम्स में आण्विक प्रजनन और जेनेटिक्स प्रयोगशाला की प्रभारी और योग विभाग की प्रोफेसर डा. रिमा दादा ने लोकमत से खास बातचीत में कहा कि योग से अवसाद, गठिया, बांझपन जैसे रोगों का भी इलाज किया जा रहा है.
19 जून केंद्र सरकार योग दिवस मनाकर जीवन को रोग मुक्त रखने के लिए लोगों को प्रेरित कर रही है. ऐसे में देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में शामिल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में काला मोतियाबिंद का उपचार योग से हो रहा है. एम्स में काला मोतियाबिंद के 90 रोगियों को दो समूह में बांटकर इनका उपचार किया गया है.
ऐसे रोगी जिन्हें दवा के साथ योग कराया गया उन्हें दवा पर निर्भर रोगियों की अपेक्षा ज्यादा लाभ मिला. एम्स में आण्विक प्रजनन और जेनेटिक्स प्रयोगशाला की प्रभारी और योग विभाग की प्रोफेसर डा. रिमा दादा ने लोकमत से खास बातचीत में कहा कि योग से अवसाद, गठिया, बांझपन जैसे रोगों का भी इलाज किया जा रहा है.
प्रोफेसर ने कहा कि आंखों की बीमारी ग्लूकोमा या काला मोतियाबिंद से पीडि़त मरीजों का बिना सर्जरी इलाज किया जा सकता है. एम्स के योग विभाग में एक अध्ययन किया गया. इसमें देखा गया कि ग्लूकोमा के रोगियों को ध्यान-मेडिटेशन कराने से उनकी आंख के दबाव को कम करने में मदद मिल रही है. इंट्राओकुलर दबाव (आंखों का दबाव) कम करना ग्लूकोमा के मरीजों के लिए एकमात्र उपचार है.
अध्ययन के लिए 90 ग्लूकोमा मरीजों को दो समूहों में बांटा गया था. एक समूह के मरीजों को ग्लूकोमा दवाओं के साथ योग के एक प्रशिक्षक की निगरानी में 21 से अधिक दिनों तक हर सुबह 60 मिनट तक ध्यान लगाया और प्राणायाम कराया गया था. दूसरे समूह ने ध्यान के बिना सिर्फ दवाएं ही लीं. तीन सप्ताह के बाद ध्यान लगाने वाले समूह में इंट्राओकुलर दबाव में कमी देखी गई.