भारत में बच्चों में मिर्गी के दौरे रोकने के लिए अध्ययन शुरू, मिर्गी का दौरा पड़ने पर तुरंत करें 6 काम
By उस्मान | Published: November 22, 2019 07:08 AM2019-11-22T07:08:36+5:302019-11-22T07:08:36+5:30
मिर्गी के कारण यदि मरीज सांस लेना बंद कर दे तो, यह खतरनाक हो सकता है।
मस्तिष्क के दौरे अर्थात मिर्गी, मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि का विकार है, जिससे अस्थायी सेरेब्रल डिसफंक्शन होता है। एक अध्ययन के अनुसार, लगभग दो फीसदी वयस्क अपने जीवन में कभी न कभी मिर्गी जैसी समस्या का अनुभव करते हैं। बच्चों को प्रत्येक उम्र में अलग अलग प्रकार के दौरे पड़ सकते हैं। कुछ बच्चों को मिर्गी दिमाग में किसी चोट की वजह से हो सकती है. कुछ मामलों में यह अनुवांशिक समस्या के चलते मिर्गी के साथ मानसिक रूप से अविकसित हो सकते हैं।
हाल ही में ब्रिटेन और भारतीय विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों ने भारत में मस्तिष्क चोटों से पीड़ित बच्चों पर दुनिया का सबसे बड़ा अध्ययन शुरू किया है। इस अध्ययन का मकसद मिरगी जैसी बीमारी की रोकथाम में मदद करना है। इम्पीरियल कॉलेज लंदन नवजात बच्चों में मस्तिष्क विकृति को कम करके मिरगी दौरों की रोकथाम पर शोध का नेतृत्व कर रहा है। इस विषय पर अध्ययन करके प्रसवकाल के बाद बच्चों में मिरगी के मामलों को कम करना है।
बच्चों में मिर्गी के कारण
विशेषज्ञों के मुताबिक प्रसव के दौरान या जन्म के दौरान बच्चों के मस्तिष्क में चोट लगना दुनिया के कुछ क्षेत्रों के बच्चों में मिरगी का मुख्य कारण है और नवजात को सांस लेने में दिक्कत इस बीमारी की मुख्य वजह है। ऑक्सीजन की कमी नवजात के मस्तिष्क को क्षतिग्रस्त करती है। अनुसंधानकर्ताओं को विश्वास है कि एक तरह का 'केयर बंडल' बनाने से प्रसव और बच्चे के जन्म के तुरंत बाद देखरेख में सुधार हो सकता है।
इम्पीरियल कॉलेज लंदन के डॉक्टर सुधीन थायील ने बताया कि जन्म के दौरान सांस लेने में दिक्कत दुनियाभर में नवजात की मौत और विकृति के लिए सामान्य कारण है। उन्हें विश्वास है कि 'केयर बंडल' से ऐसे मामलों में कमी आएगी। उन्होंने कहा, 'बच्चों में जन्म से जुड़ी चोटों को रोकना पेचीदा है और इसके लिए नवोन्मेष की जरूरत है जैसा कि इस अध्ययन में किया जा रहा है।'
इस अध्ययन पर 34 लाख डालर का खर्चा आएगा और इसे ब्रिटेन तथा भारत के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किया जाएगा। इसमें करीब 80,000 महिलाओं का अध्ययन किया जाएगा जो दक्षिण भारत के तीन प्रमुख अस्पतालों से भर्ती की जाएंगी । इनमें बेंगलौर मेडिकल कॉलेज, मद्रास मेडिकल कॉलेज और कालीकट मेडिकल कॉलेज शामिल हैं।
मिर्गी के लक्षण
मिर्गी के कारण यदि मरीज सांस लेना बंद कर दे तो, यह खतरनाक हो सकता है। इसके लक्षणों में मांसपेशियां सख्त होना, मरीज अपनी जीभ काट सकता है या सांस लेना बंद कर सकता है, चेहरा और जीभ का रंग नीला पड़ना, मुंह से बहुत अधिक झाग निकलने आदि हैं।
मिर्गी के लिए प्राथमिक उपचार
- इस उपचार में आपको सबसे पहले आप मरीज के पास से ठोस चीजें हटा दें।
- इसके बाद उसके सिर के नीचे कोई नरम चीज रखें।
- दांतों के बीच या मरीज के मुंह में कुछ न रखें। मरीज को कोई तरल पदार्थ न पिलायें।
- यदि मरीज की सांस बंद हो, तो देखें की उसकी श्वास नली खुली है और उसे कृत्रिम सांस दें।
- शांत रहें और मदद आने तक मरीज को सुविधाजनक स्थिति में रखें।
- कंपकंपी के अधिकांश मामलों के बाद मरीज बेहोश हो जाता है या थोड़ी देर बाद फिर से कंपकपी शुरू हो जाती है।
- आपातकाल पर फोन करें और चिकित्सीय मदद मांगे।