भारत में सर्वाइकल कैंसर से रोजाना मरती हैं 200 महिलाएं, कैंसर से पहले शरीर देता है 8 चेतावनी, तुरंत करें ये 4 काम
By उस्मान | Published: September 16, 2019 01:19 PM2019-09-16T13:19:43+5:302019-09-16T13:19:43+5:30
early signs and symptoms of cervical cancer : ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) सर्वाइकल कैंसर के पीछे मुख्य कारणों में से एक है और एचपीवी को असुरक्षित यौन संबंधों के माध्यम से फैलाने के लिए जाना जाता है।
सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer) एक प्रकार का कैंसर है जो महिलाओं की गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं (cervix cells) को प्रभावित करता है। NCBI में प्रकाशित राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार, भारत में 15 वर्ष से अधिक उम्र की लगभग 365.71 मिलियन लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा है।
वर्तमान अनुमानों से पता चलता है कि भारत में लगभग 132,000 नए मामलों का निदान किया गया है और इससे सालाना 74,000 लोगों की मौत होती है, जो वैश्विक ग्रीवा कैंसर से होने वाली मौतों के लगभग 1/3 के बराबर है।
सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (human papillomavirus (HPV) संक्रमण के कारण होता है, जो शरीर को प्रभावित करते हैं। इसके अधिकतम मामले यह यौन संचारित संक्रमण से जुड़े हैं। जब इम्यून सिस्टम वायरस को शरीर पर हमला करने से रोकने में असमर्थ होता है, तो सर्वाइकल कैंसर हो सकता है।
गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के दो प्रकार हैं: स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और एडेनोकार्सिनोमा। एचपीवी आपके शरीर में वर्षों तक जीवित रह सकता है और इस तरह कुछ ग्रीवा कोशिकाएं कैंसर कोशिका बन जाती हैं।
सर्वाइकल कैंसर के संकेत और लक्षण
ज्यादातर महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के कोई संकेत या लक्षण नहीं होते हैं। हालांकि प्रारंभिक चरण के सर्वाइकल कैंसर में महिलाओं में लक्षण दिखाई देते हैं। एडवांस और मेटास्टैटिक कैंसर वाली महिलाओं में, लक्षण उन ऊतकों और अंगों के आधार पर अधिक गंभीर हो सकते हैं जिनमें यह बीमारी फैल गई है। मुख्यतः इसके लक्षणों में पीरियड्स के बीच या बाद में खून के धब्बे या हल्की ब्लीडिंग होना, मासिक धर्म में रक्तस्राव जो सामान्य से अधिक लंबा और भारी होता है, संभोग के बाद रक्तस्राव होना, योनि स्राव में वृद्धि होना, संभोग के दौरान दर्द, मेनोपॉज के बाद रक्तस्राव, लगातार श्रोणि और पीठ दर्द होना शामिल हैं।
सर्वाइकल कैंसर के जोखिम को ऐसे करें कम
1) समय पर जांच कराएं
ऊपर बताये गए किसी भी तरह के लक्षण महसूस होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। समय पर लक्षणों को पहचानकर इलाज कराने में मदद मिल सकती है। उदाहरण के लिए, 25 से 49 वर्ष की उम्र की महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे हर 3 साल में खुद की जांच करवाएं, जबकि 50 से 64 साल की महिलाओं को सुझाव दिया जाता है कि वे हर 5 साल में जांच करवाएं।
2) शराब और धूम्रपान से बचें
स्मोकिंग और अल्कोहल लेने वालों को एचपीवी संक्रमण का खतरा अधिक होता है। धूम्रपान छोड़ना, आपके शरीर को जल्द ही एचपीवी संक्रमण से छुटकारा दिलाता है और यहां तक कि इसे कैंसर में बदलने से रोकता है।
3) टीके लगवाएं
सर्वाइकल कैंसर के लिए कई तरह के टीके मौजूद हैं। हालांकि, भारत में गार्डासिल (Gardasil) और (Cervarix) टीके का उपयोग किया जाता है। डीएनए प्रौद्योगिकी द्वारा निर्मित यह टीके गैर-संक्रामक वीएलपी पैदा करता है जिसमें एचपीवी एल 1 प्रोटीन शामिल होता है जो सर्वाइकल कैंसर को रोकने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक हो सकता है।
4) असुरक्षित सेक्स से बचें
ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) सर्वाइकल कैंसर के पीछे मुख्य कारणों में से एक है और एचपीवी को असुरक्षित यौन संबंधों के माध्यम से फैलाने के लिए जाना जाता है। असुरक्षित यौन संबंध से बचें और संक्रमण विकसित करने के अपने जोखिम को कम करने के लिए हमेशा कंडोम का उपयोग करें। याद रखें, न केवल सेक्स द्वारा बल्कि बल्कि जननांगों के बीच किसी भी प्रकार की त्वचा से त्वचा के संपर्क से वायरस को प्रसारित किया जा सकता है। यह मौखिक या गुदा मैथुन के द्वारा भी फैल सकता है।